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मच्छर उत्पन्न न हो इसके लिये वर्षा काल में अवश्य किये जावें पर स्मरण रहे एक घर में अच्छा साधन रहने पर भी यदि पड़ौसी इधरः उपेक्षा से वर्ते तो वहां से मच्छर उत्पन्न होकर, फैलकर सारे महल्ले वा नगर को कष्ट पहुंचा सकते है, स्मरण रहे पड़ौसी भी हमारी तरह इतनी ही खबरदारी रखेगा यह मान लेना उचित नहीं अतः घर में मच्छरों का उपद्रव न होने पावे इसके लिये भी स्थानिक खास प्रयत्न किये जावें। ___ संध्या को घर में धुआं किया जावे, अग्नि पर नीम के पत्ते, गुगल, और थोड़ा गन्धक डालकर मकान के बारी बारने बन्द कर दिये जायें जिससे वहां मच्छर नहीं पाते तथा वहां के भग जाते हैं। केवल छाणों के उपले-कंडे के धुएं से भी मच्छर भग जाते है । लोबान, कपर, मेन्थल की गंध तथा धुएं से मच्छर नहीं पाते हैं । मच्छर अंधियारे में रहना पसन्द करते श्रतः सन्ध्या को सोने के मकान के दरवाजे तथा खिड़कियों को बन्द कर दिये जावे जिससे बाहर से आकर मच्छर घर में प्रवेश न कर सके । सन्ध्या समय मच्छर घरों में आ घुसते हैं पर यदि मकान और खास कर सोने के कमरे बन्द रहें तो वे वहां स्थान न पाकर दूसरी जगहों पर जा अाश्रय लेते हैं फिर रात को इधर से उधर बारी बारने, दरवाजे खुले रहने पर भी प्रायः नहीं पाते। ___ वर्षा काल में एक ओर तो मच्छरों का उपद्रव रहता है दूसरी ओर गर्मी सताती है, यदि मच्छरों से बचने के लिये कुछ ओढ़ा जावे तो गर्मी से व्याकुलता होती है और नहीं
ओढ़ा जावे तो मच्छर काटते हैं अतः इस आपत्ति से बचने के लिये-मच्छर न कांटे उसके लिये निम्न उपाय जो बहुत वार अनुभव किया जा चुके है काम में लाने चाहिये।
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