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( ७४ ) हवा की रोक टोक विशेष न होनी चाहिये कमरे में गर्मा हो तो बाहर बरंडे वातीबारी में सोना चाहिये।
मलेरिया का प्रकोप जब अधिक हो तब जल उवाला पीना चाहिये तथा तुलसी की चाह रोज़ लेनी चाहिये। इनसे आक्रमण का भय कम हो जाता है। सबसे अधिक सावधानी मच्छरों से बचने की रखनी चाहिये, मलेरिया का विष मच्छरों के काटने से शरीर में प्रवेश होता है अतः मच्छरों से बचने के लिये पलंग पर मसेरी डाली जावे, मकान में गंधक का धंधा किया जावे। जिसे ज्वर भाजावे उसे तो मच्छरों से बचने की खास तजवीज़ रखनी चाहिये । मच्छरों से मचने के खास उपाय नीचे लिखे जाते हैं आशा है लोग पढ़ कर लाभ उठायेंगे।
मच्छरों से बचने के उपाय ।
वर्षा काल आगई । मच्छरों का उपद्रव भी बढ़ चला। भाग्यवान् और श्रीमन्त लोग मसहरी आदि से अपना अपना बचाव लक्ष्मी की कृपा से कर लेंगे। किन्तु गरीबों का हाल बुरा है वे इसके भोग बनकर पहिले तो अपनी निद्रा मुख से नहीं लेपाते हैं, उनकी तत्कालीन पीड़ा भी सहते हैं और पश्चात् मलेरिया ज्वर से अस्वस्थ्य होकर कष्ट उठाते हैं। यह हाल कुछ नया नहीं है, वर्षों से ऐसा ही देखते आ रहे हैं परन्तु सर्व साधारण के लिये ऐसा कोई सार्वजनिक प्रयत्न नहीं होता कि खास मच्छरों की उत्पत्ति ही घट जाय। लोग मच्छरों के उपद्रवों को प्रायः = महीने भूल जाते हैं, वर्षाकाल में स्वयं मच्छर ही अपनी भिन्न भिन्नाहट से याद दिलाते हैं
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