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ढल जाने पर) अधिक उबाला (तीव अवस्था में) रहन सहन(१) रोगी के कमरे में (१) हवा खूब आने देना। हवा अधिक न आवे वैसा (२) ठण्ड से बचाव नहीं प्रबन्ध करना।
रखना। (२) खिड़किये साधा- (३) रोगी का अंग ढके रण तौर पर बन्द कर देना नहीं रखना। वा परदे लगा देना।
(४) बारी बारने खुले (३) बीमार को खाट पर रखना। ही रखना बाहिर घूमना (५) बाहर घूमना फिरना। फिरना नहीं चाहिये। (६) परिश्रम करना। (४) कमरे में सदा एक (७) स्नान करना। सी उष्णता रहे वैसा प्रबन्ध रखना।
(१) पसीने की दवा देना (२) ताव उतार देने की दवा देना।
(३) ताष जल्दी रोकने
। की दवा देना। तोब अवस्था में रोगो के पास चाहे जिसे न आने देना चाहिये। धूप रोम करना, संक्रामक नाशक द्रव (गोमूत्र, नीम जल, चूने का पानी, अरेठे का पानी श्रादि) से आगन्तुक के हाथ पैर घुला कर भीतर जाने देना चाहिये । रोगी के कमरे में भीड़ न होने देना।
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