________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तैल
[ ६९ ] मंग का पानी (यदि लंघन ! मिठाई। कराया हो तो अन्न प्रारम्भ मावे की चीजें गाढा किया करने के पहिले दो तीन दूध माषा,गुजा, पेठा आदि। समय दिया जावे)
घृत-खास कर अधिक भूने मूगों की दाल (मंदाग्नि
मात्रा में, कफ के रोग में, में साधारण दालकी अपेक्षा
मंदाग्निमें, तथा यकृतरोगमें। जल्दी पचती है।
आचार मंग की दाल
दही बड़े (रायता) जव का पानी Barley
सीजती में घृत डालकर तैयार water बावलो का मांड
किये पदार्थ (थूली में, मंगो
में, खीचड़ी में, दलिये में चावलों की फूली
चावलों में, मोण वाली रोटी, साबूदाना (पानी वा दूध में तैयार किये हुये।)
मोण वालो पुड़ी आदि।)
खटाई (अमचूर, काचरी) दलिया (बाजरी का मूंग की ।
आमली खट्टा दही) दाल के साथ।)
अधिक खाना, चावल (बिना खांड के)
वार बार खाना थूली
दूध-दूहने के पश्चात् ठण्डा खिचड़ी
तो ४ घण्टे और गर्म किया पटोलिया
६घण्टे बाद पीना। गेहूं की रोटी गेहूं का अंगार बाटिया चंदलिये का शाक कर वृन्ताक
স্থা जमीकन्द
For Private And Personal Use Only