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( ५० ) उधर के विचार करने से दस्त देरसे लगती है और फिर धीरे २ समय अधिक लगने की आदत हो जाती है । _(३०) टट्टी बहुत साफ रहनी चाहिये। लोग इसकी स्वच्छता के प्रति बहुत ध्यान नहीं देते पर स्वास्थ्य को बिगाड़ने में टट्टी की सड़ांद दुर्गन्धि ही अधिक हानि पहुंचाती है अतः इसकी सफाई के लिये विशेष ध्यान रखना चाहिये । चने से २।४ महीने में टट्टी का मकान पुतवा देना चाहिये और फर्श पर चना वा फिनाइल छिड़कवाना चाहिये। __ (३१) पेशाब अथवा टट्टी की हाजत हो तब सब काम छोड़ पहिले हाजत दूर करनी चाहिये । शंका मारने से कई रोग हो जाते हैं, कब्जी की आदत पड़ जाती है ।
(३२) दातन हमेशा करना चाहिये । पेट के बुरे परिमाणु वाफ-श्वास द्वारा अाकर दांतों पर रातको जम जाते हैं, वे अच्छी तरह साफ न करने से पीछे भोजन वा पानी के साथ पेट में जाकर कई प्रकार के रोग पैदा करते हैं, पाचन शक्ति बिगाड़ देते हैं । मुंह में बास आती है, दांत खराब हो जाते हैं, वस्तुओं का स्वाद बराबर मालूम नहीं पड़ता अस्तु दांत हमेशा साफ़ रखे जायें।
(३३) दांतन बंबूल वा नीम का हमेशा प्रातः शौच से निवृत होकर करना चाहिये। अंगुली से दांतन कर लेने से पूरा लाभ नहीं होता। * दंतमञ्जन अच्छा होतो उससे भी दांत साफ किये जा सकते हैं।
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__*नीचे लिखे दन्त मंजन के प्रयोग अच्छे और लाभदायक है अतः इनमें से जो पसन्द पड़े उसे तयार करके काम में लावें।
(१) नीम की लकड़ी का कोयला तोला १०, सैन्धव तोला २, सफेद जीरा सेका तोला १, सोगी फूली तोला!
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