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(४६) खाट पर सोना चाहिये । जमीन पर सोने से ठण्डी का असर अधिक होता है फर्श की सील (Dampness) स्वास्थ्य को बिगाड़ती है।
(४७) कमरे में जलती कोयलों की अंगेठो रखकर न सोना चाहिये, नहीं तो कोयलों को गेस से उस कमरे में, सोने वालों को हानि पहुंचता है, वे अचेत हो जाते हैं, उनका जो घबड़ाता है, उल्टो होती है। सर्दी को मोसिम में ऐसे कई केस होते है अतः लावधान रहना चाहिये ।
(४८) संक्रामक रोग फैला हुआ हो उन दिनों में खाली पेट बाहर नहीं जाना चाहिये किन्तु, कुछ खाकर बाहर निकलना चाहिये जिससे बीमारी के धावा होने का भय कम हो, पैर में मोजे पहिनने चाहिये, रोगो के मुंह के पास अपना मुंह न ले जाना चाहिये, और अपने पास (Eucalyptus oil) से तर किया रूमाल रखना चाहिये।
(४६) मन्छ ले बचाव करना चाहिये। (५०) भीड़ में नहीं बैठना चाहिये। (५३) पैर ठंडे होना कोई न कोई बीमारी का रूप है अतः पैर सदा गर्म रहें इसका प्रवन्ध रखना चाहिये । गोले में खुले पैर कभी नहीं फिरना चाहिये।
(५२) वर्ष में १०-२० दिन काम काज से फुरसत लेकर पूर्ण आरामी (Complete rest) करना चाहिये।
(५३) बीमार के पाप्त बहुत निकट अपना मुंह वगैरः नहीं ले जाना चाहिये, नहीं तो बीमारी के बुरे परिमाणु अपने श्वास में चले आवै और नुकसान उठाना पड़े।
(५४) 'टेमसर' रात को सो जाना चाहिये और शान्ति पूर्वक सो जाना चाहिये, नींद की कमी से अच्छी खूराक भी ताकत
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