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( १६ ) नियम पालन कर लेना समझती हैं। फिर मृत्यु संख्या जो बढ़ रही है, उसके लिए और कारणों के खोजने की आवश्यता ही क्या है? ___ वैध जी बहुत विचार के पश्चात् पथ्य के लिये हज़ार कहें, लाभ बतावे, पर घर की स्त्रियाँ ही क्यों बूढ़े और जवान भी टस से मस नहीं होते हैं । दूध तो बुखार में चिकित्सक की पाशा मिल जाने पर भी अबलाओं के ख्याल से तो सब अवस्थाओं में जहर ही समझा जाता है। बर्फ के लिए तो कुछ पूछिये हो मत । ऐसे ऐसे पथ्य के सम्बन्ध में अब अनेक प्रकार से अन्धाधुन्धी होने लगी है। पथ्य पर फिर श्रद्धा रखी जावे । __ अब इसे और अधिक न बढ़ा कर यही प्रश्न करने की इच्छा होती है कि भला यह तो कहिये क्या इन्हीं विचारों को रखते हुए हम पथ्य की मनशा पूरी कर रहे हैं? क्या ऐसी अवस्था के लिये ही शास्त्रों में इस पर इतना विवेचन किया गया है ? यदि आप आज कल जैसा कि बर्ताव किया जा रहा है उसे ही पथ्य का सच्चा स्वरूप और लाभकारी मार्ग समझते हैं। तो आप सचमुच बहुत भूल में हैं। अतः यह अपने तथा अपने कुटुम्ब के कल्याण के लिये बहुत उचित
और आवश्यक है कि इस सम्बन्ध में शास्त्र में जो आज्ञा है उसे ध्यान से पढ़ें, सुने और सुनावें और उसके अनुसार चलने के लिये दृढ़ चित्त हो; क्योंकि निरोग रहने के लिये पथ्य में ही सुधार करने की सब से बड़ी श्रावश्यकता हमारे धन्वन्तरि भगवान तक ने मानी है। केवल एक पथ्य के सहारे ही अनेक भयङ्कर रोगी बिना औषधों के भी आराम होते हमने अपनी आंखो देखे हैं। इसी लिए कहते हैं, कि अपने अपने घरों में आरोग्यता देवी की आराधना के लिये
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