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( १६ ) (२२) जो कुपथ्य करने के वशीभूत होजाते हैं उन्हें औषधि लेना वृथा ही है।
(२३) पथ्य में चलने वालों को वैद्यों, हकीमों और डाकृरों के पास घड़ी घड़ी शिकायत नहीं करनी पड़ती है।
(२४) तन्दुरुस्ती हज़ार नियामत, केवल एक पथ्य से ही रह सकती है।
(२५. ) स्त्री, धन आदि से शरीर की कीमत अधिक समझो गई है ; पर उसकी रक्षा केवल एक पथ्य से ही हो सकती है।
(२६) प्रतिदिन औषधि खाते रहें ; किन्तु पथ्य न रखें तो आरोग्य नहीं रह सकते हैं।
(२७) बीमार पड़ने से कुटुम्बियों को जो केश होता है उसे हम पथ्य के सहारे हो शीघ्र मिटा सकते हैं।
(२८) पथ्य एक ऐसा अनमोल पदार्थ होने पर भी उसकी कुछ भी कीमत नहीं देनी पड़ती है।
(२६) नीरोगता प्राप्त करने के लिये औषधि का तो खर्च भी होता है पर पथ्य रखने से खर्च अधिक होना तो दूर रहा उल्टा घट जाता है।
( ३० ) मनुष्य के स्वास्थ्य सुधारने के लिये पथ्य से भी सरल और कम खर्च और अपने स्वाधीन कई उपाय अब तक जाना नहीं गया है।
(३१) प्रत्येक मनुष्य के पास रोग से बचने अथवा उसे दूर करने का जो सब से बड़ा शस्त्र है वह यही एक पथ्य है।
(३२) विचार के साथ पथ्य का सेवन करने से नीरोगता अधिक दिन टिकती है।
(३३) यदि हम चाहते हैं कि बराबर कमाते रहें और
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