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( ४० ) वहांधणा-सूग उत्पन्न होने लगती है, मक्खी मच्छर आदि बहुत
आ जाते हैं । जो स्वास्थ्य के लिये अहितकर है। कई इस लिये वहीं थाली सिरका देते हैं कि रोगी फिर मांगेगा तब देंगे, पर यह स्वास्थ्य की दृष्टि से जंगली और खराब रिवाज है।
(१६) पथ्य लेते २ उस पर किसी कारण से, मक्खी आदि से, अभाव,घृणा वा सूग आजावे तो वह तुरंत वहां से हटा देना चाहिये क्योंकि वह उसे फिर आंख से देखना तो दूर नाम सुनना भी कभी २ पसन्द नहीं करता है । यदि वह तुरंत ही वहां से हटाया न जाये तो खाया हुआ भी सब पीछा निकल जाता है और उस पर हमेशा के लिये 'टोकार' बैठ जाती है। ___ (२०) जिस खुराक पर रोगी को एकवार सूग आ जातो है, अभाव हो जाता है, वह फिर रोगी के पास नहीं लाई जाये और न उसके साथ कोई और वस्तु लाई जावे, नहीं तो उसके साथ की वस्तुओं पर भी अभाव हो जाया करता है।
(२३) ध्यान में रहे रोगी न खाने लायक पथ्य चोरी करके खा लेता है बाजार से मंगा लेता है घर के आदमी दे देते हैं, लुक छिप कर पड़ोसी मित्र, नौकर, नो, बालक आदि कुपथ्य करने में सहायता देते । पर चौथाई पेठा [मावेका ] अथवा एक जलेबी भी बोमार को पोछा बीमार कर देने उथलाने में काफी है।
(२२) बहुत महनत से अच्छा हुआ रोगो भी पथ्य को थोड़ी सी गफलत से भी पीछा भयङ्कर स्थिति में या जाता है।
(२३) रोगी के पास स्वच्छता खूब रखो जाये। उसके कपड़े लत्ते तथा प्रौढ़ने बिछाने के बिस्तर आदि सब साफ हो इस की सम्हाल रखी जावे ।
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