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( १८ ) मन्त्री-तो फिर आप श्रीनन्दीसूत्र को मानते हो वा नहीं दंढिया-हां मानते हैं।
मन्त्री-तो बड़े ही शोक की बात है कि फिर श्रीमहाकल्प सूत्र को क्यों नहीं मानते॥
अष्टम प्रमाण । श्रीभगवती सूत्र में लिखा है कि तुंगीया नगरी के श्रावकों ने श्रीजिनप्रतिमा पूजी है।
नवम प्रमाण । श्रीरायपसेणीसूत्र में लिखा है कि सूर्याभ देवता ने श्री जिनप्रतिमा की पूजा की है।
दशम प्रमाण। श्रीउत्तराध्ययनसूत्र की नियुक्ति अध्ययन १० में लिखा है, श्रीगौतम स्वामीजी अष्टापद की यात्रा करने को गए।
एकादश प्रमाण। श्रीआवश्यकसूत्र की नियुक्ति में लिखा है कि गुर श्रावक ने श्रीमल्लीनाथजी का मन्दिर बनवाया, इसी सत्र में लिखा है कि फूलों से यदि जिनपूजन किया जावे तो संसार
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