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प्रथमोऽध्यायः॥ ( जोशी जी लिखते हैं ) कि यवनों ने आकर भ्रमजाल फैलाया सोना चांदी श्राप सो गये यवन ज्योतिष हमें दे गये (समीक्षा) पाठक जोशी जी का भ्रमजाल तल्ला देते हैं, यवनों के यहां ज्योतिष कहां से प्राधेगा, यह विद्या भा. रतवर्ष से सर्वत्र फैली है। यरूप के विद्वान् भी इस बात को मानते हैं कि मुसलमानों ने ज्योतिष विद्या भारत से मीखी उन के यहां अंको का नाम हिन्दमा इमी हेतु से र.. क्या गया, वाहवाह ! पगिडत जी कह देते हमारे यहां मायवेद इंगलैगह से माया, ॥
(जोशी जी ) ऋषि मुनियों के सत्य ज्योतिष के विपरीत तो मैं एक शब्द भी नहीं लिखूगा, यह नास्तिकता मुझ से न हो सकेगी। हां यवनों ने जो २ वाते ऋषियों के नाम से चलाई हैं प्राप को दरशा दूंगा ॥
(समीक्षा) यह तो फरमाइये कि वह ऋषि मुनियोंका सत्य ज्योतिष कौन है? वाल्मीकि रामायणादि में श्री रामचन्द्र जी के जन्म की ग्रह कुण्डली आदि का जहां वर्णन है, तथा श्रुति स्मृति प्रादि में ग्रह शान्ति जो लिखी है, उसे भाप ऋषियों का ज्योतिष मानते हैं या नहीं,? यदि नहीं मानते हो तो नास्तिकता है, मानते हो तो झगड़ा किस बात का है, प्रमाण, रामायणा तथा वेदादिके भाग लिखे जावेंगे ॥
(जोशी जी.) मेरे ज्योतिष के विचार से भाप के बुरे दिन पूरे हो गये, खोटे दिन श्राप के शत्रुओं के आये, आप को बुरा लगे तो म सही, मेरा ऐसा कहने में क्या बिगड़ता है।
(समीक्षा) मुझे तो एक महात्मा का बचन याद भाता है, उक्तञ्च हतश्रीगणकान्वेष्टि गतायुश्चचिकित्सकान्॥ म०भा०
( जोशीजी.) उपोतिष दो प्रकार का है,एक सत्य ज्योतिष दूसरा यवन ज्योतिष इस पुस्तक में ज्योतिष की जो २
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