Book Title: Murtimandan
Author(s): Labdhivijay
Publisher: General Book Depo

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Page 199
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०४ . ज्योतिष चमत्कार समीक्षायाः ॥ जन्ग में ४० बर्ष की अवस्था में कोई गहा पाप शिया होय तो दूसरे जन्म में उमी अवस्था में मान पर दुष्ट ग्रह की दशा भावगी। उम मनुष्य को महा कष्ट होवे गा। और इम जन्म के जो कर्म हैं उन से इन शास्त्र का उतना सम्बन्ध नहीं है। हां पूर्व जन्म के कर्म और वर्तमान जन्म के क्रमों का मेन हो जाने के कारण कुछ २ मम्वन्ध अवश्य हो जाता है। पूर्व जन्म में किमी मनुष्य में विद्या में पूर्ण जाति प्राप्त किई । इम जन्न में उन का पञ्चम वृहस्पति उच्च का पड़ेगा। पूर्वाभ्याम होने के कारण बहुत शीघ्र विद्या इम जन्म में उसे आजाय गी। पढ़ने में अधिक परिश्रम उन बुद्धिमान् को नहीं करने पड़ेगा पूर्वजन्म के मूर्ख का पञ्चम शनि नीच का पड़ेगा । उम व्यक्ति की इस जन्म में महामूढ बुद्धि होगी कितना ही पढ़ाया जाय पर कुछ असर नहीं होगा हा उम भर पुस्तक रटते २ कुछ २ प्रभाव इम जन्म के कर्म का हो जाने से साक्षर होजायगा यदि पूर्वजन्म का अभ्यास होता तो षटशास्त्री तक इतना परिश्रम करने से हो जाता ॥ सारांश यह है कि इस जन्म के नबीन कर्म सञ्जप करने के निमित्त हम स्वाधीन हैं। पूर्वसंचित कर्मों के फल प्राप्त करने को परतन्त्र हैं अर्थात् ग्रहों के आधीन हैं। इसी का नाम दैत्र है बस यही देवाधीन फल जन्मपत्रादि के द्वारा दैवज्ञ लोग शास्त्र चतु से देख कर बतला देते हैं । इप्त को विद्या प्रच्छी प्रावेगी अथवा मूर्ख होगा धनाढ्य वा दरिद्री होगा, शान्त अथवा क्रोधी प्रारोग्य तथा रोगी होगा इत्यादि सैकड़ों बातें जान लेते हैं उस शास्त्र को झठा कहना नास्तिक अथवा मूर्ख अनार्य का काम है। पृष्ठे चन्द्रे इत्यादि यात्रा विषय का प्रश्न है, दिशाशल भद्रा योगिनी चन्द्रमा आदि यात्रा सम्बन्धी जो कुछ शुभाशुभ बातें विचारी जाती हैं, उन का अभिप्राय इस प्रकार है कि For Private And Personal Use Only

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