________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
प्रश्नोत्तर ॥ नाश हुमा । बड़े २ विद्वानों के समीप विद्या पढ़ने से सदम विचार आते हैं ॥
प्रश्न-अथवा अन्य विचार मेरे अनुमान से तौ ज्योतिषी लोग अपनी बुद्धि के बल से बताते हैं (१) १६ सोलह वर्ष में विवाह होगा, तीन लड़के होंगे, अमुक वर्ष में भाग्योदय तथा अमुक में कष्ट इत्यादि मिलती जुलती वातें बताते हैं ॥ .
उत्तर-बुद्धि के बल से तथा शास्त्र के बल से सभी बातें बताई जाती हैं विना बद्धि के शास्त्र का विचार नहीं होता। मजिष्ट्रट कानन के बल से “इन्साफ" न्याय करता है? अथवा बुद्धि के, विना बुद्धि के तो कानून की धारा अंड वंड होजा. यगो बिना कानन पढ़ा कोरा बुद्धिमान कुछ भी इन्साफ नहीं कर सकेगा नहीं तो सरकार विना लौ पास किये बुद्धिमानों को अथवा कानन पढ़ाकर मूर्ख मा निर्बुद्धि लोगों को मजिष्ट्र ट बना देती ॥ . इसी प्रकार बुद्धि तथा शास्त्र के बल से सभी बातें बतायी जाती हैं ज्योतिषी पण्डित्त भी बिचार बताते हैं, अमुक घर्ष बिवाह अमुक में भाग्योदय अमुक में कष्ट इत्यादि न बताबें तो क्या यह वतावै कि "अमुक वर्ष में यज्ञदत्त के मींग या पंच जमेगी, चार पैर अयत्रा तीन कान हो जायेंगे, हाथ से चलने और पेर से खाने लगेगा इत्यादि” धन्य हो महाशय जी ! जो संमार से मिलती जुलती वाते हैं वही बतायी जाती हैं, आप क्यों घबड़ाये ? ॥
प्रश्न-ज्योतिषी ने कहा चिन्ता हो, ऐसा कौन हैं जिसे चिन्ता नहीं फिर कहा रोग हो वा कष्ट हो ऐमा कौन है जिसे कष्ट वा रोग न हो, कह दिया लाभ हो लाभ किसे नहीं होता।
उत्तर-पनकर्ता जी ! अनुमान होता है कि आप को अभी मंमार का अनुभव नहीं हुआ ऐसे अनेक लोग हैं जिन्हें स्वप्न में भी चिन्ता नहीं, गिईन्द्र होकर परमात्मा का भजन करते
For Private And Personal Use Only