Book Title: Murtimandan
Author(s): Labdhivijay
Publisher: General Book Depo

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Page 203
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir १०८ ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥ हैं, हां पराधीन दासवृत्ति करने वाले लोग फिकिरमन्द अवश्य रहते हैं। अनेक लोग ऐसे नीरोग हैं जिन्हों ने कभी डाक्टर तथा हकीम का दर्शन भी नहीं किया मौट ताजे रहते हैं। कोई कष्ट वा रोग उम्र भर नहीं हुआ और इसी प्रकार किसी को रात दिन बैंक में लूनाछन रुपया भरने की फिकिर रहती है और किसी को एक पैसे का भी लाभ नहीं होता। कुत्ते की तरह पराये टुकड़े खाकर पेट पालना पड़ता है। सो ज्योतिषी लोग लोभ वाले को लाभ, कष्ट वाले को कष्ट पूर्व कर्मानुसार शास्त्र के बल से ठीक २ बता देते हैं। दश का लाभ होगा अथवा ५० का सहस्र पति वा लखपति होना। राजयोग चक्र वर्ती मागइलिक क्या होगा मब बातें ज्योतिष बता देता है। प्रश्न-मैं ५० कुण्डली मिलाकर रांड और सुहागिन स्त्रियों की भाप के सामने रखता हूं आप बता देवेंगे राड़ों की कौन और सुहागिन स्त्रियों की कौन हैं ? ॥ उत्तर-हां जिन का पूर्ण वैधव्य योग होगा अवश्य बता देंगे फिर जिन का भई वैधव्य योग होगा प्रथा माम्य ठीक न होने से वैधव्य होगया हो उन की कुण्डली बताना कठिन है। अगर आप परीक्षा करना चाहें तो चतुष्पद और मनुष्यों का पूरा जन्मपत्र ले प्रावैहम पृथक र बता देवंगे। पर जन्म पत्र उन के ठीक २ सच्चे हों एक पल का भी फरक न हो और सिद्धान्तों के अनुसार स्पष्ट तथा पूरा २ गणित होना चाहिये। प्रश्न-जिन के सौभाग्य का पूरा योग हो ऐसी कन्याओं के साम्य की क्या जरूरत है। क्योंकि विधा तो हो नहीं सकतीं और जिन का विधवा योग होगा तो वे अवश्य विधवा होंगी साम्य से क्या लाभ हुआ योग सच्चा या साम्य ॥ उत्तर-दोनों सच्चे पूर्ण सौभाग्य के ग्रह जिन के होते हैं वे विधवा कदापि नहीं होती हैं। पर साम्य ठीक न करनेसे ( दम्पती) दोनों क्लेश में रहते हैं अनैक्यता कलह वियोग For Private And Personal Use Only

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