Book Title: Murtimandan
Author(s): Labdhivijay
Publisher: General Book Depo

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Page 198
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acha www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रश्नोत्तरी प्रश्न-मेरी समझ से तो ज्योतिष झठा है १।२ वातों को देख कर अनुमान कर लिया गया है कि मनुष्य की आयु विद्या धन इत्यादि गर्भ हो से नियत हो गये हैं। कभी टल नहीं सकते तो ‘पृष्ठेचन्द्रभवेन्मृत्यः ,, क्यों कहा है। क्या श्रायु घट सकती है। उत्तर-ठीक है हम बझते हैं कि पाप आयु बढ़ाने को वैद्य वा डाक्टर को क्यों बुलाते हो ? अटल आयु टल नहीं म. कती तो माफ किमी को जहर देर्दै अथवा स्वयं खा लेवें, क्योंकि प्रायु तो गर्भ ही से नियत हो चुकी है विष क्या कर सकता है ? । कालिज में जा कर लेक्चर दी जिये कि विद्या गर्भ हो से नियत हो गयी है। पढ़ना फिजल है । और आप नौकरी छोड़ कर बैठ जाइये क्योंकि धन तो गर्भ में ही निश्चय हो चका है। जो कुछ होगा टल नहीं मकता तो आप नौ. करी के द्वारा या धन कभी बढ़ा भी सकते हैं ? ॥ प्रश्नकर्ता जी ! योग तप अनुष्ठान तथा यत्न इत्यादि क. रने से प्रायु भी बढ़ सकती है। अनेक ऋषि मुनियों ने प्रायु को बढ़ा कर योगाभ्यासादि के द्वारा मृत्य को जीत लिया “न तस्य रोगी न जरा न मृत्युः प्राप्तस्य योगाग्निमयंशरीरम्” इसी प्रकार अर्थार्थी भगवद्भक्तों को धन राज्य ऐश्वयादि प्रत्र तथा सुदामा जी की भांति प्राप्त हो जाता है। विद्या भी इसी प्रकार जिज्ञासु भक्तों को वाल्मीकि जी इत्यादि की तरह श्रा जाती है। ज्योतिष के द्वारा केवल पूर्वजन्मों के जो अनेक संचित कर्म हैं उन के शुभाशुभ फल विदित हाते हैं। महर्षि जैमिनि साफ कह गये हैं कि "उपदेशं व्याख्यास्यामः” अर्थात् "उपदिश्यते प्राक्तनशुभाशुभं कर्माने नेत्यु पदेशो जातकशास्त्रविशेषस्तं व्याख्यास्यामइत्यर्थः” जैसे कि किसी मनुष्य ने अपने पूर्व For Private And Personal Use Only

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