________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१०२ ज्योतिषचमत्कार ममीक्षायाः ॥ मोक्ष वा निर्वाणपद की निन्दा न करें तो और कौन करेगा? तभी से ईश्वर का कोप होने के कारण अकाल महामारी, इत्यादि फैले हैं।
पाठक वन्द १९०७ मन में छपी हुई ज्योतिष चमत्कार पुस्तक का खण्डन पूरा हुमा मैंने सुना है कि अंगरेजी में यह पुस्तक कुछ अधिक जोशी जी ने लिख रक्खी है। मैंने अंगरेजी भाषा न जानने के कारण केवन हिन्दी में लिखी हुई पुस्तक का खण्डन किया है। यदि अवमर मिल गया तो इस का अंगरेजी अनुवाद भी कराया जायगा उस में अंगरेजी की पु. स्तक का पूरा खण्डन छपैगा ॥
पृष्ठ पंक्ति इस वार के ज्यो० च० पु० से ठीक २ मिलेगी इस बात का पाठक ध्यान रखें ॥
यह ग्रन्थ ईर्षा वा द्रोह से वा किसी का दिल दुखाने के अ. भिप्राय से नहीं लिखा गया । केवल सनातन वैदिक धर्मस्थापन, धर्म रक्षा के लिये लिखा गया है। सम्पूर्ण प्रमाण प्राचीन आर्ष ग्रन्थों के इस पुस्तक में दिये गये हैं। मैं आशा करता हूं कि सनातन धर्मी विद्वान् तथा मर्वसाधारण इस पुस्तक को देखकर प्रसन्न होंगे ओ शान्तिः ३
कर्माचल देशान्तर्गत षष्ठिखात निवासी पण्डित हरिदत्त दैवज्ञात्मज रामदत्त गण विरचित ज्योतिष चमत्कार समीक्षाया उतरार्दुः समाप्तः ॥
॥ समाप्तोयं ग्रन्थः ॥ यत्रयोगेश्वरःकृष्णो यत्रपार्योधनुर्धरः । तत्रश्नीविजयोभूतिर्धवानीतिर्मतिर्मम ॥ पं० रामदत्त ज्योतिर्विद् भीमताल नैनीताल शुभम् भवतु ॥
For Private And Personal Use Only