________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
पञ्चमोऽध्यायः॥ ( मनीक्षा)-चपन में विवाह करने की रीति काशीगाथ मे नहीं चलाई, पूर्वकाल से मार्य लोगों में प्रचलित है। भगवान् रामचन्द्र महाराज का १५ पन्द्रह वर्ष की अवस्था में विवाह हुमा पा यह वाल्मीकि रामायणा से सिद्ध है देखियेदशरथ जी विश्वामित्र जी से क्या कहते हैं
जनषोडशवर्षोंमे रामोराजीवलोचनः । नयुद्धयोग्यतामस्य पश्यामिसहराक्षसः॥ वा०स०२०॥ __ भाषा-हे विश्वामित्र जी ! अभी श्रीरामचन्द्र जी मोलह वर्ष से भी कम हैं यह राक्षसों से युद्ध नहीं कर सकते। इसी समय रामचन्द जी उन के संग गये। और यज्ञ की रक्षा कर धनष को तोड जानकी विवाही । कहिये यह विवाह केला हुआ? क्या र्माता जी अठारह वर्ष की होंगी ? या दश घा ग्यारह वर्ष की है । और अभिमन्यु का भी विवाह १४ वर्ष की अवस्था में हुआ था। विवाह से थोड़े ही दिन पीछे भारत के युद्ध में मृतक हुए। उस समय उन की स्त्री उत्तरा गर्भवती घी उस से राजा परीक्षित जी उत्पन्न हुये । ती कहिये जो रमस्वता होने के तीन वर्ष बाद ( ज्यो च० के अनुसार ) अ. तरा जी का विवाह करते तो पाण्डवों का वंश समाप्त ही हो चुका था। काशीनाथ इत्यादिकों को कलङ्क लगाते हुए भाप को कुछ भी लज्जा न भाई ! । रजस्वला होने से तीन बई पीछे विवाह करने की माज्ञा वसिष्ठ जी ने नहीं दी, किन्तु सत्यार्थप्रकाश में स्वामी दयानन्द जी ने दियी है। व. सिष्ठस्मृति के लोक हम पहिले देवके हैं यही वेद पुराण के अनुकूल है। मनु जी भी ऐसी ही प्रज्ञा दे गये हैं। त्रिंशद्वर्षाद्वहेत्कन्यां हृद्यांद्वादशवार्षिकीम् । त्र्यष्टवर्षोष्टवर्षा वा धर्मेसीदतिसत्वरः ॥
- मन० अ० ६ श्लो०६४ इसी प्रकार गृह्यसूत्रकार भी लिखते हैं देखिये । मान राह्य सू० सं० ७ ०८॥
For Private And Personal Use Only