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ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥ जी हम आप के शास्त्र को नहीं मानते, बाप दादे मूर्ख थे तो हम थोड़े मूर्ख हैं जो भाप के प्रपञ्च में फेल है। मैंने सुना है कि जब मेरी अवस्था ५। ६ वर्ष की थी तब हमारे बद्ध पोप (पिता) जी ने किसी ज्योतिषी को मेरा जन्मपत्र दिखाया था। ज्योतिषी ने कहा तुम्हारे पुत्र के ग्रह ऐसे पड़े हैं कि यह धर्म भ्रष्ट और अनाचारी होगा। पिता की प्राधा नहीं मानोगा इत्यादि सो हम पूरे रिपोरदाचारी धर्मात्मा सुन अनी ४ कुरानो और वारह किरानियों को पवित्र करके वैदिक धर्म में मिलाया, भोजन भी सन्द का मामा हम खाते हैं। पहो रगने पीने से किस का धर्म जाता है ? ये शोक पोपको को बनाये है॥ अवक्ष्यरेलोगोमांसं चाहालासमथापिया। यदिभुक्तंतुधि । शुभकान्द्रायणंचरेत् ॥ एकपडायुविधामा वाणांसहभोजने। योकोपित्यजेत्यानं शेषमशन मोजयेत् ॥ पाराशर स्मृति अं० ११ ॥ - कार -अमन सहनादि, ऐन, क ( वीर्य ) गोमांस नीवर पोती इत्यादि ) धागाल का अन ईमा रन खा लदे तो कृष्ल बान्द्रामा त परै एक
र लोक न करते समय उन में से यदि एक मनुष्य भी पसल र उठ जाय तो अन्य लोग उच्छिष्ट समझकर खाना छोड़ देवें। असंस्पृश्येनसंस्पृष्टः स्नानंतेनविधीयते । तस्यचोच्छिष्टमनोयात् एण्यासान्कृच्छमाचरेत्॥ अविस्मृ० श्लो ७४ ॥
भाषा-चाण्डालादि का स्पर्श करने वाला स्नान करने से शद्ध होता है | वाह ! वा ! पोप जी जब हम स्नान करने पर जाड़े से अकड़ गांप? लो या हा धर्म नष्ट हुए । कहिये भाप
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