Book Title: Murtimandan
Author(s): Labdhivijay
Publisher: General Book Depo

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Page 175
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ८० ज्योतिषमत्कार ममीक्षायाः ॥ सामवेद के २६ वै ब्राह्मण में और मानवगृह्यसूत्र के १५वें रखण्ड तथा नापस्तम्भ के १२ ३ खण्ड में विस्तार पूर्वक यह विषय भरा हुआ है । अनेक प्रकार के उत्पात अनिष्ट शकुम दुःस्वप्नादि की शान्ति स्पष्ट रूप से इन ग्रन्थों में ज्योतिष के ग्रंथों की भांति वर्णित है। विस्तार भय से अधिक न लिख फार कुछ अंश यहां उद्धृत किया जाता है। मागृखं०१५ मू०६ गौर्वा गां धयेत् । स्त्री वा लियमाहन्यात् कर्त्तसंसर्ग हलसंसर्ग मुसलसंसर्ग मुसलप्रपतने मुसलं वावशोयुतान्यस्मिंशादभुत एताभिर्जुहूयात् । स्वस्तिन इन्द्रो वृद्धश्रवाः स्वस्तिनापूषाविश्ववेदाः, इत्यादि ॥ ___ भाषा-गौ का दूध गौ पोवैवा दो स्त्री परस्पर मारपीट भ. थवा बाहु युद्ध करें। फसल काटते समय दो दराती लड़पड़ें, कई हल परस्पर खेत में चलते हुए अकस्मात् भिड़प, धान्य कूटते समय दो मुमल भिड़ कर टूट जापं, अथवा दो दांत भिड़ कर अकस्मात् टूट जावे और राष्ट्र दर्शन उल्फादर्शमादि आश्चर्यजनक शकुन होयं तो "स्वस्तिन इन्द्रो० " इत्यादि पांच और पांच "त्रातारमिन्द्रः" इत्यादि इन दश मन्त्रों से पत की दश प्रधामाहुति करे, और जप होम पूर्ववत् करना चाहिये। सामवेदीय षड्विंश ब्रा० खराड ११ में देखिये सोऽधस्ताद्रिशमन्वावततेऽथ यदास्य ग वा मानुषमहिष्यजाश्नोष्ट्राः प्रसूयन्ते हीनाङ्गान्यतिरिक्तानि विकृतरूपाणि वा जायन्ते। असम्भवानि भवन्त्यधलानि चलन्त्येवमादीनि तान्येतानि सर्वाणि रुद्रदैवत्यान्य तानि, रुद्राय स्वाहा, पशुपतये स्वाहा,शूलपाणये स्वाहा, ईश्वराय For Private And Personal Use Only

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