Book Title: Murtimandan
Author(s): Labdhivijay
Publisher: General Book Depo

View full book text
Previous | Next

Page 189
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥ 9- प्रायः ज्योतिषी तेजी मट्टी की पुस्तकें छापते हैं। यदि ये लोग तेजी मट्टी को जानते तो लखपति हो जाते || समीक्षा - "कृषिगोरक्ष वाणिज्यं वैश्यकर्म स्वमायणम्, इस द्वाक्य के अनुसार यह वृत्ति वेश्यां की होने के का रण स्वयं वाणिज्य नहीं करते । बम्बई प्रान्त के ज्योतिषी प्रायः तेजी मन्दी का हाल वहां के वैश्यों को बतलाते हैं सो वहां के मारवाड़ी इत्यादि लखपति क्या किरोड़पति हैं | ८- " पृष्ठ चन्द्रे भवेन्मृत्युः " इस यात्रा विषय के प्रश्नों का उत्तर दे दिया है || - नाडीवेध का उत्तर साम्य के अन्तर्गत प्रश्नोत्तर में आ गया, १०- यदि ज्योतिषी शभ मुहूर्त और भाग्य को जानता तो इस का लाभ प्राप स्वयं उठाता सब भाग्यशालिनी कन्याओं को अपने घर ले आता शुभ मुहूर्त को देख कर कितने ही ज्योतिषी लखपति हो गये होते ॥ समीक्षा- धन्य हो जोशी जी ? एक मूर्ख कहता था कि "डाक्टर वैद्यों को लोग क्यों बुलाते इत्यादि । डाक्टर साहब डाक्टर थे तो अपने बाप को क्यों मरने दिया ? वैद्य जी स्वयं क्यों कर मरते ?" | वही कहावत आपने किई । ज्योतिषी लोग ग्रहों के अनुसार जैसी कन्या मिलने का योग होता है इस बात को जानते हैं । भाग्यशालिनी कन्या किसी राजा के घर जन्मे तो उस के अच्छे ग्रह देखकर जबर्दस्ती अपने घर उठा लावें ? वाहवा ! डिपटी साहब अच्छा सवाल किया । और लखपति हो जाने वाला मुहूर्त्त छाप ने किस ग्रन्थ में देखा था, लोक तो लिखते ॥ ११- पृ० १४० । ९४८ क्या हिन्दुओं के यहां रांड रंडुवे कम हैं ? ज्योतिष से हमें क्या लाभ हुआ ? मुसलमानों को विना ज्योतिष विवाह करने में क्या हानि हुई ? ॥ समीक्षा - तो अब आप की राय से मुसलमान हो जाना For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206