________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७२
ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥
कार भी प्रागया फलित की जड़ हरी होगयी पढ़े लिखे लोग ज्योतिषियों के पास जाने लगे इत्यादि ॥
समीक्षा - जोशी जी । जब पढे लिखे लोग ज्योतिषियों के पान जाते हैं और थियोसोफी वाले बड़े २ फिलोमफर भी इसे मानते हैं । तो निरर्थक श्राप का डाह ज्योतिषियों को कुछ नहीं कर सकता | भारत वर्ष में अधिकांश उच्च श्रेणी के लांग थियोमोफी के पक्ष में होते जाते हैं और वे सभी लोग ज्योतिष विज्ञान के तत्व के मर्म को समझने लगे हैं। इसी प्रकार जर्मनी तथा अमेरिकन यूरूप के अनेक लोग फलित के परिडत होते ही जाते हैं। ऐसी दशा में आप की चिल्लाहट कौ बुद्धिमान् सुनेगा । आप ने लिखा है कि थियोसोफी आने से पुराना अन्धकार छाया और नास्तिकता दूर हुई । वाह वाह नास्तिकता हटाने वालों के साथ क्या कभी अन्धकार आ सकता है ? फलित की जड़ हरी हंती देखकर जो आप ने अन्धकार कहा सो आप का अन्धकार थियासोफी की पुस्तक तथा मेकजीन पढ़ने से भी न हटा गुसांईजी ने मत्य कहा है ॥
नयन दोष जाकई जब होई - पीतवर्ण शशि कई कह सोई ॥
जोशी जी महाराज ! फलित वालों की तो दिन २ प्रति ष्ठा कढ़ती जाती है पर आपने लिखा है कि सन् १८६० ई० तक चढ़ती रही। आप भूल में पड़े हैं, शोधा होगा कि हम अंग्रेजी पढ़े हैं जैसे हम नहीं मानते वैसे ही और बी० ए० ऐम् ए० तथा बड़े २ नौकरी वाले लोग ज्योतिष को नहीं मा नते होंगे पर यह बात नहीं है अनेक अंगरेजी पढ़े बी० ए० ऐम् ए वकील वैरिस्टर अनेक पण्डितों से भी श्रद्धा ज्योति ष स्वयं जानते हैं। ऐसे लोग इस आप को पुस्तक को देखकर हंसते होंगे। अनेक डिप्टी कलक्टर तहसीलदार ज्योतिषी परितों को गुरु मानकर चरण छूते हैं । और वड़े २ रईस ब राजा महाराजा लोग ज्योतिषियों को घर बैठे श्रत्र भी
For Private And Personal Use Only