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- षष्ठोऽध्यायः ॥
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के ज्योतिष का फन ठीक क्यों नहीं मिला, वम तुम्हारा ज्योसिषझूठा " । हम के पीछे एक दूसरे महाशय पहुंचे आप फरमाते हैं कि पति श्री माप के सितारों का हिमाव कपास के खिलाफ है। सुझे भी ऐतकाद गोया बिल्कुल नहीं है, किसी पंडल ने मेरी बाल्दा के ज़नुम पत्तर में विधवा होना लिखा था, सो सत्रहवें वर्ष उस वदुत्रा की यजेह से उनके खामिद का इन्तकाल हो गया, बड़ा सद्ना उन्हें उठाना पड़ा। बाद नियोग कराने से मेरी पैदा हुई चूंकि खी विधवा हरगि ज नहीं हो सकती वेद का खोफ है "पतिमे आदर्श कृषि प का विचार क्या काम दे सकता है ?| अनुम पत्तर के स रहते तो हमारा जन्म कैसे होता ?। विरेमन लोगों ने "मान्यस्मिन् विधवा नारी नियोकव्याद्विजातिभिः, और "न दिदीयस माध्यमां कचिङ्गतपदिश्यते" ये लोक मनु में मिला दिये हैं" ॥
पाठक ! इन की बात चीत अभी पूरी नहीं होने पाय 'थी कि मिष्टर पेटल जी भैरव के वाहन को साथ जे ब रूट के अग्रिहोत्र से वायु शुद्ध करते हुए पहुंचे इनको खते ही हमारे परिइतभी तो कविता करने लगे ॥
बूटं च कोटं पतलून दिव्यं चुरुटं मुखे चल मद्वितीयम् । बधगुलामं शुभकर्महानं न्यूफेसनं भूष्टपथं कठौ शुभम् ॥
बाबू पैट-यू पण्डित वेड्नेत पड़ा झूठा अभी दोशाल हुआ दुम कहा था दुम्हारा ग्रह वहीत अच्छा टुम खुश रहे - गा फिर क्यों rिबिलिस का बेमारी हमारा अच्छा नहीं होता टुम झूठा माइफैमली को हिष्टिरीया मार्च से बहोत ज्यादा है। यू बैडमैन टुम्हारा विचार ग़लत पेस्कारी का मोमिनेसन हमारा जनवरी से हो गया तो क्या तुम सच्चा हो सकता है। विलिस से हम को बढ़ा टक़लीफ है हालत
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