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ज्योतिषचमत्कार ममीक्षायाः ॥ (ज्यो० च० ए० १८)-ज्योतिष के प्रान्मार लड़की का व्याह लकपन में होना चाहिये ६ पुश्त सफ नातेदारी में ध्याह नहीं हो मकते। बहुतेरे लोगों में कृतारम्बन्ध इतने साल रहगये हैं कि एक लड़की के लिये ३४ घर बहो कटिगता से मिलते हैं। ज्यो. तिषी कहदेते हैं इन की विधि महीं मिलती इत्यादि ।
(समीक्षा)-सनातन धर्मी हरिभात जी ! पान्याशा विवाह लड़कपन में झरन की प्रामा केवल ज्योतिष ही नहीं किन्तु धर्मशास्त्र देता है ? देखिये मम्वतस्मृति हो० ६८
विवाहोाष्टवर्षायाः कन्यायास्तुप्रशस्यते । तस्माद्विवाहयेत्कन्या यावन्नर्तुमतीभवेत् ॥८॥ पाराशरस्मृअ०० प्राप्नेतद्वाइशेवर्षयः कन्यांनप्रयच्छति मासिमासिरजस्तस्थाः पिबन्तिपितरोऽनिशम्॥॥ मातापिताचैव ज्येष्ठ मातातथैवच त्रयस्तेनरकंयान्ति दृष्टाकन्यांरजस्वलाम् ॥८॥ ___ पाठकगण ! इभी धर्मशास्त्र के अनुसार काशीनाथ जी भादि ने भी स्मृतियों के ही प्राधार पर “अष्टवर्षाभवेद्गौरी,, इत्यादि. लिखा है। अब रही मातेदारी की बात तो क्या शाप भी शरहीन खत्रियों की भांति मौसेरे भाई बहिनों का ध्याह चलाना चाहते हैं ? ॥ क्योंकि आप लिख भी चुके हैं कि निर्वंश होने से तो यही ( मौसेरे भाई बहिनों का व्याह ) अच्छा राम २ गुमाई जी का वाक्य याद पाता है ___ कलिकाल विहाल किये मनजा।
नहिंमाने कोज अनुजा तनुजा ॥ जोशी जी को क्या चिन्ता पड़ी वाह ! वाह !! कृत सम्बन्ध क्या पहिले नहीं होते थे आप क्यों घबड़ाते हैं ? एक कन्या के लिये व भा अनेक वर मिल सकते हैं और बराबर विधि भी मिलता है ॥ मत्य है
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