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ज्योतिषधमत्कार समीक्षारः ॥ पर ये धोतो पगड़ी वाले बुरे हैं इत्यादि शोचते हैं ।। गुसांई तु. लसीदास जी ने सत्य कहा है । वातुल भत विश मतबारे । ते नहिं बोलाहिं बचन संभारे ॥
॥ दूसरा अध्याय समाप्त ॥
॥ तीसरा अध्याय॥
( ज्यो. च० पृ० २२ पं० १७)-यह ज्योतिष क्या है मैंने किसी अंगरेजी समाचार पत्र में पढ़ा था जो लोग मई के महोने में पैदा होते हैं वे लम्बे और दीर्घायु होते हैं इसी प्रकार सब महीनों का फल लिखा हुवा था इत्यादि ।
(समीक्षा) जोशी जी ! अंगरेजी समाचार पत्र में ज्योतिष के किसी ग्रन्थ के आधार पर यह स्थल विचार लिखा होगा यह कोई सूक्ष्म वात नहीं है ज्योतिष क्या है इस का उत्तर आप अपनी भूमिका में पढ़िये। जिस के बल से वा ल्मीकि मुनि ने रामचन्द्र के जन्म से पूर्व रामायणा बना दी थी जिसे आप स्वयं स्वीकार कर चके हैं । पाठक महाशय इस अध्याय में लिखने योग्य और कोई विशेष बात नहीं।
॥ तीसरा अध्याय समाप्त ॥
चौथा अध्याय
( ज्यो० च० पृ. २४ )-चीनवालों ने गणित और फलित विद्याओं को सीखने का बहुत उद्योग किया, चीन में प्राकाशमण्डल २८ भागों में बांटा है जिसे राशिचक्र कहते हैं। ईसमसी से २३१७ वर्ष पहिले महाराज याओ के समय में सीख लिया था इत्यादि ॥
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