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ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥ जांच कोई वैद्य भी करले तो इस में या हानि है ?। इसीम. कार रमल से प्रश्न करना भी समझो ॥
केशवी में कुछ २ गणित है एक ब्राह्मण की बनाई है। साराषली वराहमिहिर जी ने रची भली किसी अनपढ़ ग्रामीण मनुष्य ने बनाई है इस में भाषा के दोहा है।
(ज्यो०० पृ०२८ )-जोशी जी लिखते हैं कि वाराहीस. हिता मुझे मिली है इस के १०० सौ अध्याय ।“ गागीय शि. खिचारं पराशरमसित देवलकंचा, घराह जी कहते हैं कि हमने गार्गी शिखिधार पराशर देषल मादि से लिये । इत्यादि
(समीक्षा)-जोशी जी | वाराहीसंहिता के मी म० नहीं, किन्तु १०५ अध्याय है। मुनियों के अनुकूल बस पुस्तक को यहां आपने भी मान लिया ? धन्यवाद !
(ज्यो० च० पु० २९ ) फलित का अनुमान ग्रहण से धुमा। इस पुस्तक में लिखा है कि भाषण के महीने में ग्रहण हो तो काश्मीर चीन यवन सत्यादि का गाश हो "काश्मीर धीम यवनान, तथा "काम्बोजचीमयवमान,, इत्यादि इस से मेरा अनुमान है कि फलित चीन से चला है ॥
(समीक्षा)-बाप का अनुमान ठीक नहीं है क्योंकि एक चीन का नहीं, अनेक देशों के नाम इस ग्रन्थ में लिखे हैं। खिये-अ० १४ ॥ अथ दक्षिणेनसंकाकालाजिमसौरिकीर्णतालिक कप०, इत्यादि 'श्रामेयांदिशि कोशलकलिंगवतोपबङ्गगठरांगाः, इत्यादि और पांच अध्याय में “पाउचालकलिमशरसेनाः, यहां से अनेक देशों के फल बैशाख से १२ महीनों के लिखे
इस से चीन से फलित का चलना सिद्ध नहीं हो सकता सूर्यसिद्धान्तादि में- उदसिद्धपुरीनाम कुरुवर्षेप्रकीर्तिता । पश्चिमेकेतुमालाख्ये रोमकाख्यःप्रकीर्तितः॥ शिरोमणी-लंकाकुमध्येयमकोटिरस्याः । तथा-भार. तवर्षमितोहरिवर्षम् ॥
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