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ज्योतिषधमत्कार ममीक्षायाः ॥ द्वितीय अध्याय
"ज्यो० च० पृ० १३"विवाह कैसे होता है लड़के लड़कियों की जन्मपत्री धरी रहती हैं, विवाह के ममय ये पत्रिया मिलाई जाती हैं जिनकी पत्री मिलगई उहीं का व्याह हो म. कता है। व्याह क्या हुआ एक प्रकार की चिट्ठी पुर्जी डाली गई कोई २ कोमलाङ्गी सुरूपालट को किमी काले भून के नाम आगई इत्या० (ममीक्षा) जोशी जी आपने इम पुस्तक को द्वेष बुद्धि से लिखा है। जन्मपत्री मिलाने से कोई कालाभत किमी उत्तम कन्या को नहीं व्याह मकना क्योंकि हमारे यहां लिखा है किशुद्धां गोत्रकुलादिभिर्गुणयुतांकन्यांवरश्रोद्वहेत्, । वर्णावश्यभयोनिखेचरगणांकूटंचनाड़ीक्रमादिति
पहिले कन्या का कुन गोत्र रूप गुगा इत्यादि इसीप्रकार वर के भी कुलादि रूप गुण निश्चय कर के जन्मपत्री से ठीक २ माम्य करके पश्चात् विवाह करना योग्य है । यही परिपाटी वैदिक हिन्दुओं में प्रचलित है। पहिले पुरोहित या नाई आदि को भेजकर लड़के तथा लड़की को भली भांति देखभाल । कर वाया, तब ग्रह साम्य करा कर विवाह होता है । कोई काला भस किसी कोमलाङ्गो सुरुपा को नहीं ब्याह मकता, फिर श्रापको चिन्ता क्यों हुई ? ॥
(ज्या० च० प०१३ पं०१०) कोई कुरूपा किसी सुरूपवान लड़के के नाम आई तो थोड़े ही दिनों में उसके मा बाप चिन्ता से भरगये कि हमारे लाल को क्या होगया ? किसी बात में मन नहीं लगता उस लड़की के ग्रह सोंटे होंगे चलो कोई अच्छी लड़की ढूंढले जिमसे हमारे लाला ज प्रमन्न रहैं ।
(समीक्षा)-क्या हमारे जोशी जी दिखा सकते हैं कि जिन लोगों में कुण्डली नहीं मिलाई जाती जैसे ईमाई मू. साई इत्यादि में से किसी अच्छे लड़के को कुरूप लड़की नहीं
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