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ज्योतिषचमत्कार समीक्षायाः ॥ “यदुपचितमन्यजन्मनि शुभाशुभं तस्य कर्मणः पक्तिं व्यज्जयति शास्त्रमेतत् तमसि द्रष्याणि दीप इव ॥ ____ इसी प्रकार जो २ पूर्वजन्म कृत पाप कर्मों के अशुभ फल इस जन्म में होवेंगे उन के निवारना का उपाय भनेक प्रकार के यत्न वता करके आने वाले कष्टों से बचाकर उयोतिष शास्त्र शुभ कर्म तथा पुरुषार्य करने का उपदेश देता है। जैसे किसी के ग्रह अल्पाय तथा महारोगी होने के पश्ट हों तो उस को ज्योतिषी यह उपाय वतावेगा शि योग और ब्रह्मचर्य करो इस से तुम्हारी प्राय बढ़ेगी, और पाठ पूजा प्रादि अनुष्ठान नित्य करो इस से अरिष्ट तुम्हारा निवारणा होगा। जैसे मार्कण्डेय पुराणा में लिखा हैशान्तिकमणिसर्वत्र तथादुःस्वप्नदर्शने। ग्रहपीड़ासुचोग्रासु माहात्म्यंशृणुयान्मम ॥ ___अर्थात् अशुभ स्वप्नादियों के दर्शन में तथा सूर्यादि ग्रहों की काटन पीड़ानों में मेरे इश माहात्म्य को प्रवण करें।
योगाभ्यास करने से साय का बढ़ना तथा रोग और जरा का नाश होना वेद और उपनिषदों में भी अनेक जगह लिखा है ॥ "नतस्यरोगोनजरानमृत्युः प्राप्तस्ययोगाग्निमयं शरीरम,, इत्यादि ॥
(ज्यो० १० पृ० १५ पं०१७ ) हिन्दुओं को तो प्रांख खोलने का भी असमर नहीं मिलता जो कुछ अपने नाम चिट्री पूर्जी में आया उसी में सन्तोष करना पड़ा। पर पूर्जी के भरोसे कौन जाति धनाढय हुई ? ॥
(समीक्षा) सत्य है घर की खांड खरहरी चोरी का गुड मोठा जिन हिन्दुशास्त्रों में अशुभ लक्षण वाली तथा रोगिणी
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