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ज्योतिषचमत्कार ममीक्षायाः लिखते तो लाम और नाम भी आप का प्रावश्य होता, लोग कहते किसी ग्रेजुएट की बनाई उत्तम पुस्तक है, परन्तु श्रापना व्यर्थ समय मापने नष्ट किया ॥
(जोशीजी, ) उमी हरि की इच्छा हुई इस हिन्दुस्तान में भत भविष्य के जानने वाले ऋषीश्वर जन्म लवें, और विद्या फैलावें, उसी की इच्छा से सब विद्याओं का लोप हो गया और अन्धकार छा गया ।
( समीक्षा ) यह वात आप की सोलह भाना सत्य है " हरेरिच्छाबलीयमी" जिम कर्माचल के जोशी वा ज्योति. षी पगिडतों ने इस विद्या में पूरी २ उन्नति प्राप्त की ग्वा. लियर पटियाला प्रादि रियासतों में माज तक हमारे जोशी भाई जागीर पा चुके, पीढ़ियों से ज्योतिष का काम करते हैं। जिस. देश कुमांऊ) के पञ्चाङ्गों के गणित की प्रशंमा सारा भारतवर्ष क. रता है। जिस कर्माचल के ज्योतिर्विदों ने अनेक करण मारिगो विविध भांति की वनाई, ग्रहलाघध में नवीन संस्कार माला के जोशी पं० देवकी नन्दन जी ने दिया, कोटा के पर प्रेमवल्लभ जी ने “ परममिद्धान्त " कैसा उत्तम गणित का ग्रन्थ बनाया, इसी गगंगोत्र में पूज्यवर पं० हरिदम जी ज्योतिर्विद् कलौन निवासी कैसे पूर्ण विद्वान् हुए थे ? । “भनोके अहं हरिदतः" माज तक हमारे कुमावनी लोग आप के नाम को नहीं भले, इसी विद्या ( फलित ) के बल से प्राप को कई एक ग्राम जागीर में मिले । पर हाय! भाज उसी देश के और उमी गोत्र के एक जोशी सन्तान ने ज्योतिष के खगहन की एक सल्टी सीधी पुस्तक बना डाली । पाठक ! महमूद गभगवी के मन्दिर तोड़ने में उतनी हानि नहीं, जितनी एक किसी हिन्दू नरेश के मन्दिर या शिवालय तोड़ने में होगी । ऐसा ही ज्योतिषी नाम टाइटिल पेज में लिखकर ज्योतिष का खगड़न यारना है। "हरेरिच्छा बलीयसी"।
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