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ज्योतिषधमत्कार समीक्षायाः समीक्षा-पापको नमाजी होने का सन्देह क्यों पड़ा ? हम कान कहते हैं कि पाप नमाजी या समाजी हैं । हां इतना अ. वश्य कहेंगे कि समाजियों से कुछ कम ख्यालात आपके नहीं, किन्तु अधिकांश में मिलते जुलते हैं। अपने ज्योतिष शास्त्र के गुरु यवनों को आपही ने बताया। कह देते बंद विद्या भारत में भायरलेण्ड से आई और वदान्त चीन से फैला तो क्या डर था कोई कलम तो पकड़ता ही नहीं था।
और मनातन धर्मो होना भी भापका ज्योतिष चमत्कार की कृपा से प्रगट हो चुका । देखिये ज्यो० १० पृ० ४० पंक्ति ११ वसिष्ठ जी के नाम से जनार्दन ज्योतिर्विद जी लिखते हैं कि लड़की का विवाह रजस्वला होने से तीन वर्ष पछि होना चाहिये । वसिष्ठ स्मृति में साफ लिखा है कि रजस्वला होने का अवसर प्राने से पहिले ही ऋतुमती होने के भय से पिता कन्या का दान कर देवे देखिये वसिष्ठ स्मति अध्याय १७ श्लोक ६२। ६३ प्रयच्छेन्नग्निकांकन्यामृतुकालभयापितो। ऋतुमत्याहितिष्ठन्त्यां दोषःपितरमृच्छति ॥६॥
अन्यच्च यावच्चकन्यामृतवःस्पृशन्ति तुल्यैःसकामामभियाच्यमानाम् ।भूणानि तावन्तिहतानि नोभ्यां मातापितभ्यामितिधर्मवादः ॥ ६ ॥
अर्थात् कामना रखती हुई कन्या को चाहने वाले वरों के विद्यमान होते हुए न देने से जितने मास तक कन्या रजस्वला होती रहै उतनी ही गर्भ हत्याओं का दोष कन्या के माता पिताओं को लगता है । यह धर्मशास्त्रकारों का बयान है यही सनातन धर्म का अटल सिद्धान्त है । धन्य है ! जोशीजी रजस्वला होने से तीन वर्ष बाद विवाह करने की तरकीव
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