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भमिका शास्त्रों का खगडन करने का असाध्य रोग भारतवर्ष में वे तरह फैला है । इमी अन्धाधुन्ध में हमारे मित्र पं० जनार्दन ज्योतिषी बी० ए० डिप्टी कलेक्टर साहब अल्मोड़ा निवासी श्री ने ज्यातिष चमत्कार नाम की एक पुस्तक ज्योतिष के खण्डन में लिख डाली है। इस पुस्तक में उसकी समालोचना लिखी जाती है। हिपटी साहब ने ज्योतिष का पता जो कुछ ल. गाया है अधिकांश ठाकटर टीयो का मत उसमें ग्रहण किया है। ऐसा अनुमान होता है कि हिन्दुस्थानी टिभ्य पत्र में डा०टियो के लेखों का इलाहाबाद के एक महाशय ( वृहस्पति, ) जी ने उत्तर छपाया है। हमारे डिप्टी साहब ने कदाचित् लेख नहीं पढे होंगे । अन्यथा टिवो साहब ही के आधार पर अपनी पुस्तक न दिखते । जो हो अब यहां से ज्योतिष विषय के कुछ कतों का समाधान लिखा जाता है।
प्रश्न-ग्रह जड़ में सुख दुखः क्यों कर दे सकते हैं और ग्रहों से हमारा क्या सम्बन्ध है।
उत्तर-ग्रहों के सूक्ष्म अधिष्ठाता, चैतन्य देवता हैं। यदि ग्रहों को जह भी मानले तो क्या जड़ सुख दुःख नहीं दे सकता ? जड़ अग्नि दुःख पहुंचा सकता है या नहीं, ? बिजली आकाश से गिर कर प्राण ले लेती है, इस प्रकार जल वायु रेल तार पाषाण शस्त्र बन्दूक तलवार ये सब जड़ ही हैं पर सुख दुःख भली भांति पहुंचा सकते हैं। ग्रह स्वयं दुख नहीं देते किन्तु पूर्व कर्मानुसार पाने वाले दुःख अथवा सुख की सूचना देते हैं। जैसे कि किमी अभियुक्त को मजिस्ट्रेट ने ५ बर्ष की मजा का दण्ड दिया। यह समाचार १ राजकर्मचारी ने उसे सुनाया तो राजकर्मचारी दाह देनेवाला नहीं हुआ, क्योंकि दगड उसे अपने किये कम्नों के अनुसार मिला। मार्ग चलते समय नकुल का दर्शन हो गया मागे चलकर ५२) की थैली मिल गई तो यह थैली नकुल नहीं दे गया किन्तु उसने द्रव्य प्राप्ति की सूचना दी। इसी प्रकार पूर्व भर्जिस कल अदृश्य है
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