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भमिका भी अथर्व वेद के १८ वे काण्ड में लिखी है वह नागे लिखी जायगी ॥
प्रश्न-वेद में जन्मपत्रादि बनाने की विधि तथा शुभाशुभ मुहूतादि क्यों नहीं लिखे ? और सिद्धान्तग्रन्थों में प्रश्नादि शकुन और २ फलित की बातें क्यों नहीं लिखी गई ॥
उत्तर-बहुत अच्छा, आप सूर्यसिद्धान्तादि का गणित ग्रहणानिकालना इत्यादि विषय क्या वेद में दिखा सक्त हैं ? आप वेद की ऋचारों से ग्रहण गिनिये हम भी आप को तब जन्मप. त्रादिकों के योग वेद में माफ २ दिखा देंगे। जब आप अपने माने हुए गणित के अनुसार सूर्य चन्द्रका ग्रहण वेद से नहीं दिखा सक्ते हो तो फिर फलित के विषय में हम से प्रश्न क्यों करते हो ?। रहा फलित का विषय मुहूर्त करना प्रश्न विद्या प्रादि सूर्य सिद्धान्तादिकों में क्यों नहीं लिखे गये । इसका उ. तर हम देते हैं कि ताजिरात हिन्द में हिन्दुस्तान का इतिहास क्यों नहीं लिखा गया और इन्डिया को हिष्टी में कानन की बातें क्यों नहीं लिखी गई ? । तया ग्राइमर (व्याकरण) में इतिहास या डाकटरी विद्या काों नहीं लिखी ? तो
आप क्या उत्तर देंगे। कोई कहै कि हलवाई की दुकान में जूते क्यों नहीं बिकते, या बजाज की दुकान में आटा दाल तर्कारी क्यों नहीं मिलती।मो उसी प्रकार की वेसमझी का सवाल यह भी है । सभी विषय एक पुस्तक या एक शाख में नहीं होते । रामायण में महाभारत की कथा न मिलेगी । इसी प्रकार ज्योतिष के सब विषय एक सिद्धान्त ग्रन्थ में नहीं मिल सक्ते । महर्षियों ने पृथक २ ग्रन्थ बना दिये हैं। सूर्य सिद्धान्तादिकों में गणित का विषय जिप्त प्रकार लिखा है उसी प्रकार फलित का विषय जैमिनिसूत्र, गर्गसंहिता, वसिष्ठसंहिता, पराशर संहिता, प्रादि आर्ष ग्रन्थों में विस्तार पूर्वक लिखा है। कोई भी बुद्धिमान इस बात में
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