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भूमिका फलहीन वृक्ष शोभा नहीं देता उषी प्रकार फलित बिना गसित वृथा है जिसने गणित हैं उन सब में थोड़ा बहुत फलित अवश्य है, क्रिमी ने अाज की तिथि को २००) दोमौ रुपया कर्जा १) 6. सैकड़े पर दिया, दो वर्ष में क्या व्याज हुआ ४८) रु० हों. ग देखिये दो बर्ष की बात प्राज प्रगट होगई। इसी प्रकार मिद्धान्त गगित भी है। किसी ने पंच तारा स्पष्ट शिये मालम हुमा कि बाप के ५ अंश गये और शनि के दश अंश गये हैं। बम सुन लिया हासिल कुछ नहीं फिर क्यों इतना गणित किया ? नहीं २ फलित ही के निमित्त गगित बना है। नहीं तो कोरे अंग सुन लेने से क्या लाभ है? पंचांग बनाने की क्या आवश्यकता १३ मई को ५ बजे के १० मिनट में सर्य उदय होगा, मब लोग निद्रा त्याग कर उठ बैठेंगे, पहिली तारीख मई को १३ ता० का सूयोदय जानलेना यही फलित है । रहा एक स्लग्न में जन्म लेना सो दो युग्म बालक एक गम में पैदा नहीं होते कुछ प्रागे पीछे होते हैं। यदि लम भी एक हो तो नयांशक तथा अन्य बा. ते एक नहीं होती, जितनी बातें एक होती हैं उसके अनुसार रुप रंग इत्यादि करीव २ उनका एक ही होता है, भाग्य भी करीब २ एकसा होता है। नवांशक त्रिंशांशक तथा दशा एक म होने से कुछ २ फर्क होता है फल सुख दुख का भागे पीछे होता है। एफ साथ ही दो बच्चे पैदा नहीं हो सक्ते क्योंकि मुर्गी भी दो अगडे एक साथ नहीं देती । चक्रवर्ती राजा जिस समय जन्म लेता है दरिद्री का जन्म सस समय कदापि नहीं होता । इसी प्रकार किसी दरिद्री का चक्रवर्ती योग भी नहीं पहला । यह शरीर ग्रहों से बना है मनुष्य का शरीर देख कर जन्म कुण्डली मास दिवस तिथि इत्यादि कहे जा सक्ते हैं। कई विद्वान् हस्तरेख देख कर जन्म मास तिथि वार इष्ट मा. लम करके कुराष्ट्रली बना देते हैं। ग्वालियर के बच्च शास्त्री इम विचार में प्रसिद्ध थे आज कल भी ऐसे पण्डित भारतवर्ष में विद्यमाम हैं । यथा पेठगा के सुप्रसिद्ध ज्योतिभषण पगिडत भ.
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