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( ३४ )
विशाल स्थान में आएगा और इसके सिंहासन को आठ फरिस्तों ने उठाया हुआ होगा । भला यदि परमात्मा मूर्त्तिमान् नहीं है तो इस के सिंहासन को आठ देवताओं के उठाने का क्या अर्थ है । और मूर्तिमान् आकार के बिना हो भी नहीं सक्ता । और भी आप लोगों का मानना है कि परमात्मा एकादश अर्श में सिंहासन पर बैठा हुआ है। अच्छा मौलवी जी तनक यह तो बतादें क्या आपने कभी हज भी किया है ? |
मौलवी - हज से तो स्वर्ग मिलता है, फिर काबा शरीफ का हज क्यों न करना चाहिए। मैंने तो दो वार किया है ॥ मन्त्री - क्योंजी वहां पर क्या वस्तु है इसका तनक वर्णन करो। मौलवी - हज मक्काशरीफ में होता है। वहां पर एक कृष्ण पाषाण है, जिसका चुम्बन किया जाता है और काबा के कोट की प्रदक्षिणा करते हैं ।
मन्त्री - क्या यह मूर्तिपूजा नहीं है ? |
मौलवी - कदाचित नहीं ।
मन्त्री - पाषाण का चुम्बन करना और प्रदक्षिणा करना और वहां जाकर सिर झुकाना मूर्तिपूजा ही है | मौलवी साहिब, आप जो खुदा के घरका इस कदर सत्कार करते हो तो परमात्मा की प्रतिमा का सत्कार क्यों नहीं करते । और इसकी मूर्ति क्यों नहीं मानते । भला मौलवी जी यह जो ताज़िये निकाले जाते हैं यह बुत नहीं तो और क्या है ? | और जो आप काबा की ओर मुख करके निमाज़ पढ़ते हो, यह भी एक प्रकार की मूर्तिपूजा ही है ।
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