________________
।
अथ--दुसरे अथीत अपवकरणके प्रथमूसमयसे लेकर अतसम
1.
गायों ६ मा ]
लब्धिसरे - रमीम परिगामी पूजा कारण होते ह उन्हें पूर्वकरण कहते हैं : जिनका अर्थ असमाने परिणाम होता है। इसप्रकार पूर्वकरणका लक्षा निरुपण किया गया है | in
ENFER THEpt : FEA अब परिणमिॉम वरस्पर विशेषता कहती है :FjEMETE T
ET
- "विदियकरणादिसमयादंतिमसममोत्ति अवस्वरमुद्धी १५ * अतिगतिमा चिन्नु पो होति भणणागुणिदकमा मा५ २॥ कागो ... IFFER
समयके जघन्यपरिणामसे उसी समयका उत्कृष्ट परिणाम अनन्तगूगी विशुद्धिवाला है. । इस उत्कृष्टपरिणामसे अनन्तर उत्तरसमयका जघन्यपरिणाम अनन्तगगी, विशुद्धिवाला है । इसप्रकार सर्पको चालके समान विशुद्धतासम्बन्धी अल्पबहत्वका कथन है । ...पू
:: विशेषार्थ-- अपूर्वकारणाके प्रथमसमय में असंख्यातलोकमारमा विशुद्धिस्थानों मध्य जो जघन्यविशुद्धिः है। वह सबसे तोक अर्थात् मन्दअनुभागवाली हैं। अपूर्वकरणका प्रथम समय में जो उत्कृष्ट विशुक्ति सिंह असण्याललोक षष्ट्रस्थान कृतिको उल्लंघकर अवस्थित हैं और वह पूर्वकी, जघन्यविशुद्धिसे- अनन्तसुगी है। प्रथमसम्रर्यको उत्कृष्टविशुद्धिरे द्वितीयूसमयकी जघन्य विशुद्धि, अनन्तगुणी है, क्योंकि असंख्यातलोकप्रमारण षट्स्थानवृद्धिके अन्तरसे इसकी उत्पत्ति होती है । नपूर्वकरणके दूसरे समयकी उत्कृष्टविशुद्धि उसीसमयकी जघन्यविशुद्धिसे अनन्तगुणी है । द्वितीयसमयकी उत्कृष्टविशुद्धि... से तृतीयसमयकी जघन्यविशुद्धि अनन्तगुणी है। तृतीयसमयकी उत्कृष्टविशुद्धि, अनन्त--- गुगी है; कारण पूर्ववतु ही है। इसप्रकार यह क्रम अपूर्वकरणके चरमसमयतक ले
2
7-11:T-T.".
।
.
.
.
EFITTETTE
समयकी
अनन्तगणी है।
FE
पनाम-53 : F TEETA
जाना चाहिए।
व.पु.६
पा. सूत्त प.६२३।
५-७१।
४. ज. प. पु. १२. पृ. २५३-५४ । ५. ध पु. ६ पृ. २२१ ...
...
...:::
..