________________ कैमरे रखकर फोटो खींचे जाते तो फोटो में उस विशेष स्थान से बहुत कुछ मिलती-जुलती आकृति आ जाती, जिस स्थान का वर्णन करने के लिए उनसे कहा जाता था / 8) कानपुर में उपेन्द्र जी नामक एक सज्जन हैं / अभ्यास के द्वारा उनके नेत्रों में ऐसी शक्ति आ गयी है कि वे अपनी दृष्टि गड़ाकर धातु तक को पिघला देते हैं / इस क्रिया को त्राटक कहते हैं / 9) श्री बलजीत सिंह जब्बल नामक युवक ने अपने दृष्टिपात के द्वारा सितम्बर 1980 में एक दिये को जला दिया था / एक दिये में एक सूखी बत्ती रख दी गयी, उस दिये में तेल या घी कुछ भी नहीं था, श्री बलजीत सिंह दिये को देखते रहे और कुछ ही क्षणों में वह बत्ती जलने लगी / उन्होंने लन्दन में भी इस प्रकार का प्रदर्शन किया था / ___10) इजरायल के निवासी श्री यूरी गेलर, बिना छुए केवल अपने दृष्टिपात के द्वारा कीलें, चाबी आदि लोहे की वस्तुओं को मोड़ देते हैं / वे भी बिना शरीर के दूसरे स्थानों की यात्रा कर आते हैं / एक बार उन्होंने छह हजार मील दूर न्यूयार्क में बन्द कैमरे के केस को अपने यहाँ मंगवा लिया था / वे छिपाकर रक्खी हुई वस्तुओं के छिपाने का स्थान भी बतला देते हैं और उन छिपाकर रक्खी वस्तुओं की अनुकृति भी बना देते हैं / ___11) रूस के लेनिनग्राड नगर में एक महिला थी जिनका नाम नाइनेल कुलागिना था / उनमें भी अद्भुत शक्ति थी / वे ध्यान के द्वारा , बिना छुए ही, वस्तुओं को सरका देती थीं / वे कुतुबनुमा की सुई को अपनी इच्छा के अनुसार घुमा देती थीं / वे बिना देखे ही ऊन के गोलों में से अपनी पसन्द का रंग निकाल लेती थी / वे अपनी इच्छा-शक्ति से मेंढकों के दिल की धड़कन बन्द कर देती थीं / एक बार एक मनोवैज्ञानिक ने चुनौती दी कि वे उसके दिल की धड़कनों में गड़बड़ी करके दिखलाएँ / उन महिला के ध्यान लगाने के दो-तीन मिनट बाद ही उस वैज्ञानिक के दिल की दशा खराब होने लगी / कहीं उनकी जान पर न बन जाए इसलिए वह प्रयोग बन्द कर देना पड़ा / इन प्रदर्शनों की फिल्में भी बनी हैं / रूस में ही मास्को में रहने वाली एक अन्य महिला विनोग्रादोवा भी इसी प्रकार ध्यान लगा कर वस्तुओं को अपनी ओर खींच लेती हैं / कर्मग्रंथ (भाग-1)) 127