________________ 512 4096 विद्या प्रवाद पूर्व कल्याण प्रवाद पूर्व 1024 प्राणायाम पूर्व 2048 क्रियाविशाल पूर्व लोकबिंदु सार 8192 16383 हाथी प्रमाण 14 पूर्वधर महात्मा श्रुतकेवली कहलाते हैं / वे श्रुत के पारगामी होते हैं / केवली भगवंत अपने केवलज्ञान द्वारा किसी भी पदार्थ का सूक्ष्म निरूपण कर सकते हैं, उसी प्रकार 14 पूर्वधर महर्षि भी कर सकते हैं / अर्थात् केवली भगवंत की देशना और श्रुतकेवली की धर्मदेशना में कोई फर्क नहीं होता है / 14 पूर्वधर महर्षि एक अन्तर्मुहूर्त जितनेकाल में 14 पूर्वी का स्वाध्याय कर सकते हैं। आहारक लब्धि भी 14 पूर्वधर महर्षि को ही होती है, जिस लब्धि के द्वारा वे 1 हाथ प्रमाण आहारक शरीर बनाकर उस शरीर को महाविदेह क्षेत्र में भेज सकते हैं और तीर्थंकर परमात्मा के मुख से अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त कर सकते हैं / पारिणामिकी बुद्धि एक राजा था / उसके राज्य में अनेक वृद्ध और कुछ युवा मंत्री थे, युवा मंत्रियों के मन में वृद्ध मंत्रियों के प्रति ईर्ष्या थी / युवा मंत्रियों ने मिलकर राजा को शिकायत की, 'वृद्ध मंत्री अब राज्य की देख-भाल करने में समर्थ नहीं हैं क्योंकि वे अतिवृद्ध हो गये हैं, अतः उन्हें सेवा-निवृत्त कर देना चाहिए।' राजा बहुत ही होशियार था, वह जानता था कि वृद्ध-मंत्री अति बुद्धिशाली और दीर्घ अनुभवी हैं, अतः उनकी बुद्धि का प्रदर्शन युवा मंत्रियों के सामने करना चाहिए / राजा ने युवा-मंत्रियों को बुलाकर एक प्रश्न किया, 'यदि कोई व्यक्ति मेरी दाढ़ी खींचे तो उसे क्या सजा देनी चाहिए ?' __ प्रश्न सुनते ही युवा मंत्री शीघ्र बोल उठे, 'राजन् ! उस व्यक्ति का तत्काल शिरोच्छेद कर देना चाहिए / ' कर्मग्रंथ (भाग-1) 21060 ANSALI बलिया