________________ इतना कहने के साथ ही माजी के सिर पर रहा पानी का घड़ा नीचे गिर पड़ा और फूट गया / यह दृश्य देखते ही उस उच्छृखल शिष्य ने कहा, 'यह घड़ा फूट गया, इससे सूचित होता है कि तुम्हारा पुत्र मर गया है / ' इस जवाब को सुनकर बुढ़िया को अत्यंत ही आघात लगा और वह करुण रुदन करने लगी। उसी समय उस विनीत शिष्य ने कहा, 'माताजी ! आप रोती क्यों हो ? आपका पुत्र तो आपके घर लौट आया है, और वह आपकी इंतजारी कर रहा है, आप घर लौटकर देखें | __ घड़ा फूटने पर तो यह सूचित होता है कि मिट्टी का घड़ा मिट्टी में मिल गया अर्थात् आपका बेटा आपको मिल गया / बुढ़िया अपने घर गई तो उसने देखा सचमुच, उसका बेटा घर लौट आया है और वह अपनी माँ की इंतजारी कर रहा था / यद्यपि गुरुदेव ने उन दोनों शिष्यों को ज्ञान देने में किसी प्रकार का पक्षपात नहीं किया था, किंतु जो विनीत था, उसे ज्ञान परिणत हुआ और जो अविनीत था, उसे ज्ञान परिणत नहीं हुआ / औत्पातिकी बुद्धि औत्पातिकी बुद्धि का अर्थ है हाजिर जवाबी / प्रश्न खड़ा होने के साथ ही योग्य एवं समुचित जवाब देनेवाली सूक्ष्म प्रज्ञा को औत्पातिकी बुद्धि कहते है / इतिहास के स्वर्णिम पृष्ठों पर ऐसे अनेक दृष्टांत विद्यमान हैं | अभयकुमार की चतुराई मगध के सम्राट श्रेणिक महाराजा किसी योग्य व्यक्ति को मुख्य मंत्री पद प्रदान करना चाहते थे / उस पद की योग्यता जाँच करने के लिए उन्होंने नगर में ढिंढोरा पिटवाया कि 'जो व्यक्ति कुए के तट पर खड़ा रहकर कुए में गिरी हुई सोने की अँगूठी को बाहर निकाल देगा, उसे श्रेणिक महाराजा मुख्य मंत्री का पद प्रदान करेंगे / ' पटह की इस बात को सुनकर अनेक व्यक्तियों ने आकर प्रयत्न किए, कर्मग्रंथ (भाग-1)