________________ थावर सुहुम अपज्जं, साहारण-अथिर-असुभ दुभगाणि | दुस्सर-णाइज्जा जसमिअ नामे सेअरा वीसं ||27 || शब्दार्थ तस-त्रस, बायर=बादर, पज्जत्तं पर्याप्त, पत्तेय प्रत्येक, थिरं स्थिर, सुभं=शुभ, सुभगं सौभाग्य, सुसराइज्ज=सुस्वर, आदेय, जसं यश, तसदसगं त्रसदशक, थावरदसंस्थावर दशक, इमं यह, थावर स्थावर, सुहम सूक्ष्म , अपज्जं=अपर्याप्त, साहारण साधारण, अथिर अस्थिर, असुभ अशुभ , दुभगाणि दौर्भाग्य, दुस्सर-दुःस्वर, अणाइज्ज जसं अनादेय, अपयश, इअ इस प्रकार, नामे नाम कर्म में, सेयरा इतर (विरोधी) सहित, वीस-बीस / गाथार्थ त्रस नाम कर्म , बादर नाम कर्म , पर्याप्त नाम कर्म , प्रत्येक नाम कर्म, स्थिर नाम कर्म , शुभ नाम कर्म , सौभाग्य नाम कर्म , सुस्वर नाम कर्म , आदेय नाम कर्म, यश नाम कर्म, ये दस, त्रस-दशक कहलाते हैं / स्थावर नाम कर्म , सूक्ष्म नाम कर्म , अपर्याप्त नाम कर्म , साधारण नाम कर्म , अस्थिर नाम कर्म , अशुभ नाम कर्म, दुर्भाग्य नाम कर्म , दुःस्वर नाम कर्म , अनादेय नाम कर्म , अपयश नाम कर्म , ये नाम कर्म की परस्पर विरोधी बीस प्रकृतियाँ हैं | विवेचन दस-दस प्रकृतियों के समूह को दशक कहा जाता है | त्रस दशक अर्थात् त्रस आदि दस प्रकृतियाँ / स्थावर दशक = स्थावर आदि दस प्रकृतियाँ / ये प्रकृतियाँ परस्पर विरोधी हैं | जैसे त्रस की विरोधी स्थावर है | इस प्रकार सब में समझ लेना चाहिए / नाम कर्म के जो 42 भेद बतलाये हैं, वे इस प्रकार होते हैं 14 पिंड प्रकृतियाँ 8 प्रत्येक प्रकृतियाँ 10 त्रस दशक 10 स्थावर दशक 42 कर्मग्रंथ (भाग-1) 1580