Book Title: Karmgranth Part 01
Author(s): Vijayratnasensuri
Publisher: Divya Sandesh Prakashan

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Page 217
________________ को भोग्य सामग्री कहते हैं / दुनिया में हम देखते हैं कि कई लोगों के पास घर में खाने-पीने की भरपूर सामग्री होने पर भी वे खा नहीं सकते हैं | सामग्री होने पर भी उसका उपभोग नहीं कर पाना-यह भोगांतराय कर्म का उदय है / घर में खाने के लिए मिठाई तैयार की हो परंतु खाने के पहले ही व्यक्ति को अचानक घर से बाहर चला जाना पड़ता हो-यह भोगांतराय कर्म के उदय का फल है। 4. जिस वस्तु का बारबार उपयोग किया जा सकता हो, उसे उपभोग्य सामग्री कहते हैं-मकान-स्त्री आदि उपभोग्य सामग्री कहलाती है | कई व्यक्तियों के पास उपभोग की परी-परी सामग्री होने पर भी उसका उपभोग नहीं कर पाते हैं-इसका कारण उपभोगांतराय कर्म का उदय है / इस कर्म का क्षयोपशम हो तभी व्यक्ति उपभोग योग्य सामग्री का उपभोग कर सकता है। 5. दुनिया में कई व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से निर्बल दिखाई देते हैं तो कई व्यक्ति अत्यंत बलवान होते हैं / कई व्यक्ति युवावस्था में ही अत्यंत कमजोर हो जाते हैं, यह सब वीर्यांतराय कर्म के उदय व क्षयोपशम का ही फल है / वीर्यांतराय कर्म का उदय हो तो व्यक्ति शारीरिक दृष्टि से अत्यंत ही कमजोर हो जाता है। अंतराय कर्म-बंध के हेतु पू. वीर विजय जी महाराज ने अंतराय कर्म निवारण पूजा में कहा है-जिनपूजा में अंतराय करने से, आगम का लोप करने से, दूसरों की निंदा करने से, विपरीत प्ररूपणा करने से, दीन-दुःखी पर करुणा का त्याग करने से , तपस्वी आदि मुनियों को नमस्कार नहीं करने से तथा जीवों की हिंसा करने से अंतराय कर्म का बंध होता है | ___ गरीब पर गुस्सा करने से, किसी की गुप्त बात प्रकाशित करने से, किसी को पढ़ने में अंतराय करने से, किसी को दान देने से रोकने से, गीतार्थों की हीलना करने से, झूठ बोलने से, किसी की चोरी करने से, पशु बालक (कर्मग्रंथ (भाग-1) = FOS209 209

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