________________ 4. कुब्ज संस्थान नामकर्म : जिस कर्म के उदय से कुब्ज (कुबड़ा) शरीर प्राप्त हो, उसे कुब्ज संस्थान नामकर्म कहते हैं / 5. वामन संस्थान नामकर्म : जिस कर्म के उदय से वामन (बौना) शरीर प्राप्त हो उसे वामन संस्थान नामकर्म कहते हैं / 6. हुण्डक संस्थान नाम कर्म : जिस कर्म के उदय से शरीर के सभी अवयव बेडौल हों-उसे हंडक संस्थान नामकर्म कहते हैं / 9. वर्ण नामकर्म : वर्ण नाम कर्म के उदय से शरीर में कृष्ण, गौर आदि वर्ण होते हैं / इसके पाँच भेद हैं 1. कृष्ण वर्ण नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर कोयले जैसा काला होता है, उसे कृष्ण वर्ण नामकर्म कहते हैं | 2. नील वर्ण नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर तोते के पंख की तरह हरा हो, उसे नील वर्ण नामकर्म कहते हैं | 3. रक्त वर्ण नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का वर्ण सिंदूर की तरह लाल हो, उसे रक्त वर्ण नाम कर्म कहते हैं / 4. पीत वर्ण नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर हल्दी की तरह पीला हो, उसे पीत वर्ण नामकर्म कहते हैं। 5. श्वेत वर्ण नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर शंख की तरह सफेद हो, उसे श्वेत वर्ण नामकर्म कहते हैं / पांच रस और आठ स्पर्श सुरहि दुरहि रसा पण, तित्तकडुकसाय अंबिला महुरा / फासा गुरुलहुमिउखर, सीउण्ह सिणिद्ध-रुक्खट्ठा ||41|| शब्दार्थ सुरहि-सुरभिगंध, दुरहि दुरभिगंध, रसा रस , पण पाँच, तित्त=कड़वा, कडु तीखा, कसाय=तूरा, अंबिला अम्ल, महुरा-मीठा, फासा-स्पर्श, गुरु भारी, लहु-हल्का , मिउ मृदु, खर कठोर, सीउण्ह शीतउष्ण, सिणिद्ध-स्निग्ध , रुक्ख लूखा , अट्ठा=आठ / कर्मग्रंथ (भाग-1)) 177E