________________ गाथार्थ __ सुगंध और दुर्गंध ये दो, गंधनाम कर्म के भेद हैं, तिक्त, कटु, कषाय, अम्ल और मधुर ये रसनाम कर्म के पाँच भेद हैं तथा गुरु, लघु, मृदु, खर, शीत , उष्ण, स्निग्ध और रुक्ष से स्पर्श नाम कर्म के आठ भेद हैं / विवेचन 10. गंध नाम कर्म : इसके दो भेद हैं 1. सुरभिगंध नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में कर्पूर, कस्तूरी जैसी सुगंध हो, उसे सुरभिगंध नामकर्म कहते हैं / 2. दुरभिगंध नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में सड़े. गले पदार्थ जैसी दुर्गंध आती हो उसे दुरभिगंध नामकर्म कहते हैं / 11. रस नाम कर्म-इसके 5 भेद हैं 1. तिक्त रस नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर सोंठ अथवा काली मिर्च की तरह चरपरा हो उसे तिक्त रस नामकर्म कहते हैं | 2. कटुरस नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर नीम जैसा कटु हो, उसे कटुरस नामकर्म कहते हैं / 3. कषायरस नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर आँवला , बहेडा जैसा कसैला हो, उसे कषाय रस नामकर्म कहते हैं / ___4. अम्ल रस नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर नींबु , इमली जैसा खट्टा हो, उसे अम्ल रस नामकर्म कहते हैं / 5. मधुररस नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर मिश्री आदि मीठे पदार्थ जैसा हो उसे मधुररस नामकर्म कहते हैं / 12. स्पर्श नामकर्म : इसके आठ भेद हैं 1. गुरुस्पर्श नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर लोहे की तरह भारी हो उसे गुरुस्पर्श नामकर्म कहते हैं / 2. लघुस्पर्श नामकर्म : जिस कर्म के उदय से जीव का शरीर रुई की तरह हल्का हो उसे लघुस्पर्श नामकर्म कहते हैं | कर्मग्रंथ (भाग-1) 1785