________________ फिर राजा ने अपने वृद्ध मंत्रियों को बुलाकर यही प्रश्न किया, उन्होंने कहा, 'राजन् ! हम विचार कर जवाब देंगे / ' उन्होंने परस्पर विचारविमर्श किया और निर्णय लिया कि बाल राजकुमार के सिवाय राजा की दाढ़ी कौन खींच सकेगा ? अतः उन्होंने जाकर युवा मंत्रियों के बीच बैठे राजा को कहा, 'हे राजन् ! आपकी दाढ़ी खींचने वाले को ज्यादा प्यार करना चाहिए।' अपने जवाब से विपरीत जवाब सुनकर युवा मंत्री विचार में पड़ गये, फिर राजा ने अपनी गोद में बैठे हुए राजकुमार की ओर इशारा कर युवा मंत्रियों से कहा, ''बोलो ! मेरी दाढ़ी खींचने वाले राजकुमार का तुम्हारे मतानुसार तो शिरोच्छेद किया जाय न !'' युवा मंत्री शर्मिन्दा हो गये / उपर्युक्त दृष्टांत में युवा मंत्रियों ने तत्काल निर्णय तो किया परन्तु दीर्घदृष्टि से विचार नहीं किया, जिससे वे अपने निर्णय को प्रमाणित न कर सके / पारिणामिकी बुद्धि उम्र बढ़ने पर जो बुद्धि परिपक्व होती है, उसे पारिणामिकी बुद्धि कहते हैं | .. वैनयिकी बुद्धि गुरुजनों के प्रति विनय, आदर व समर्पण भाव रखने से जो बुद्धि विकसित होती है, उसे वैनयिकी बुद्धि कहते हैं / - विनय से विद्या एक गुरु के दो शिष्य थे | उन दो शिष्यों में से एक अत्यंत ही नम्र व विनीत था, जब कि दूसरा शिष्य अत्यंत ही उच्छृखल था / गुरु ने दोनों शिष्यों को समान अध्ययन कराया था परंतु पहला शिष्य विनीत होने के कारण वह शास्त्र के गंभीर रहस्यों को अच्छी तरह से समझ सका था, जबकि दूसरा शिष्य अविनीत होने के कारण शास्त्र के परमार्थ को नहीं पा सका था / गुरुदेव की अनुमति पाकर वे दोनों शिष्य अपने गाँव लौटे / गाँव में प्रवेश करते ही एक बुढिया माजी ने उन दोनों को पूछा, 'वर्षों बीत गए, मेरा पुत्र विदेश गया, वह घर कब लौटेगा ?' (कर्मग्रंथ (भाग-1) 107