________________ परंतु कोई भी व्यक्ति कुए में गिरी हुई उस अंगूठी को बाहर नहीं निकाल सका ! किसी को कोई उपाय सूझ नहीं रहा था, सब परेशान थे ! उसी समय एक नन्हासा बालक, जिसका नाम अभयकुमार था, वह उस भीड के पास आया | उसने लोगों के मुख से सारी घटना जान ली / उसके बाद उस बालक ने कहा, 'आप सभी की अनुमति हो तो मैं इस कुए के तट पर ही खड़ा रहकर उस अंगूठी को बाहर निकाल दूंगा / ' बालक की यह बात सुनकर सभी को आश्चर्य हुआ, यह छोटासा बालक उस अंगूठी को कैसे निकाल पाएगा ?' नगरवासियों ने उस बालक को अपनी सहमति दी ! लोगों की सहमति मिलते ही वह अभय उस कुए के पास आया / सारी परिस्थिति को देखते ही तत्काल उसे उपाय सूझ आया / आसपास घूमकर वह गाय का गोबर ले आया ! कुए के तट पर खडे रहकर उसने वह गोबर उस अंगूठी पर फेंका ! अँगूठी उस गोबर में चिपक गई / उसके बाद उस गोबर के आस-पास उसने जलती हुई लकड़ियाँ डालीं / आग की गर्मी से धीरे धीरे वह गोबर सूखने लगा / कुछ समय बाद वह गोबर सूख गया / उसके बाद जल से भरे पास के कुए में से पानी मंगवाकर उस सूखे कुए में डाला गया / कुछ समय में वह कुआ जल से भर गया, इसके साथ ही सूखा गोबर (कंडा) भी पानी की सतह पर आ गया / वह कंडा पानी में तैरने लगा / अवसर देख अभय ने वह कंडा पकड़ लिया और उसमें रही हई सोने की अंगूठी बाहर निकालकर श्रेणिक महाराजा को दे दी। बालक की इस चतुराई को देखकर श्रेणिक ने उसे मुख्य मंत्री का पद प्रदान किया / __कार्मिकी बुद्धि प्रतिदिन एक ही काम करते रहने से काम करने में जो होशियारी आती है और व्यक्ति वह काम अच्छे ढंग से कर पाता है, उसे कार्मिकी बुद्धि कहते हैं। कर्मग्रंथ (भाग-1) E109 100