________________ E श्रुत ज्ञानावरणीय कर्म) गंगा तट पर किसी गाँव में दो भाई रहते थे / सद्गुरु के मुख से संसार की असारता जानकर उन दोनों भाइयों ने भागवती दीक्षा अंगीकार की / उन दोनों में से एक भाई का तीव्र क्षयोपशम होने से वे परम ज्ञानी बने / विद्वान् मुनि अनेक मुनियों को वाचना देने लगे / अनेक मुनियों को विविध ग्रंथों का अध्ययन कराने के कारण वे खूब व्यस्त रहने लगे / इस प्रकार स्वाध्याय की अतिव्यस्तता के कारण उनके पास आराम के लिए भी पूरा समय नहीं था / एक बार अचानक ही रात्रि में उनकी निद्रा भंग हो गई, उन्होंने अपने भाई म. को आराम से सोते हुए देखा / वे सोचने लगे, "अहो ! मेरा भाई कुछ पढा-लिखा नहीं है तो उसे कोई परेशानी नहीं है, वह आराम से आहार लेता है, आराम से सोता है- वह कितना सुखी और पुण्यशाली है ? मैं तो कितना मंदभागी हूँ...न तो आराम से खा सकता हूँ और न ही आराम से सो सकता हूँ ! स्वाध्याय और वाचना आदि के कारण मुझे पूरा आराम भी नहीं मिलता है / ' बस, इस प्रकार अपने श्रुत की निंदा और भाई म. की अज्ञानता की प्रशंसा करने के कारण उन्होंने श्रुत ज्ञानावरणीय कर्म का बंध किया / इस अशुभ कर्म की आलोचना किए बिना ही उनकी मृत्यु हो गई / वहाँ से मरकर वे देव बने / देवलोक में से आयुष्य पूर्णकर इसी भरतक्षेत्र में एक गोवाल के घर पुत्र रूप में पैदा हए / यौवन में प्रवेश करने पर उनका विवाह हुआ...और उन्हें एक पुत्री भी हुई। एक बार उनकी पुत्री के रूप पर मोहित बने नवयुवकों की बालिश चेष्टाओं को देखकर उन्हें इस संसार से वैराग्य भाव पैदा हो गया / ____ पुत्री का लग्न कराकर एक दिन सद्गुरु के पास भागवती दीक्षा स्वीकार कर ली। दीक्षा अंगीकार करने के बाद उन्होंने विधिपूर्वक उत्तराध्ययन सूत्र के कर्मग्रंथ (भाग-1)