________________ सुरादेव , चुल्लशतक, कुंडकोलिक, सद्दालपुत्र, महाशतक और नंदिनी आदि 10 मुख्य श्रावकों के विस्तृत चरित्रों का वर्णन है / वर्तमान में इस आगम पर अभयदेवसूरिजी म. की 800 श्लोक प्रमाण टीका उपलब्ध है | 8. अंतकृद् दशांग : केवलज्ञानप्राप्ति के तुरंत बाद जो मोक्ष में जाते हैं, वे अंतकृत् केवली कहलाते हैं / इसमें आठ वर्ग में 92 अध्ययन हैं / इसमें अंतकृत् केवली के चरित्र हैं | 9. अनुत्तरोपपातिक : इसके दो द्वार के 10 अध्ययनों में अनुत्तर देव विमान में उत्पन्न होनेवाले मुनिवरों का वर्णन है / इस आगम पर 5100 श्लोक प्रमाण टीका उपलब्ध है | ___10. प्रश्नव्याकरण : इसके 1 श्रुतस्कंध के 10 अध्ययन हैं | प्रथम 5 अध्ययन में हिंसा आदि 5 आस्रव द्वारों का तथा शेष 5 अध्ययनों में अहिंसा आदि 5 संवरों का वर्णन है / इस आगम पर 5330 श्लोक प्रमाण टीका उपलब्ध है। 11. विपाक सूत्र : इस आगम में पुण्य-पाप के विपाकों का वर्णन है / इसके दो श्रुत स्कंध हैं / पहले श्रुत स्कंध में 10 अध्ययन हैं / जिसमें दुःख विपाक का वर्णन है / दूसरे श्रुत स्कंध में सुख विपाक का वर्णन है / उपांग-12 . 1. औपपातिक सूत्र : जिस प्रकार शरीर में हाथ आदि अंग तथा अंगुली आदि उपांग कहलाते हैं, उसी प्रकार आगम पुरुष के आचारांग आदि 11 अंग व औपपातिक सूत्र आदि 12 उपांग कहलाते हैं / इस उपांग में कुल 1167 श्लोक हैं तथा 3125 श्लोक प्रमाण टीका है | राजा कोणिक की देवलोक-प्राप्ति का इतिहास है / 2. राजप्रश्नीय सूत्र : इस उपांग में कुल 2120 श्लोक हैं, इस आगम पर मलयगिरिजी की 3700 श्लोक प्रमाण टीका है / इसमें 1 श्रुतस्कंध व 12 अध्ययन हैं / इस आगम में सूर्याभदेव का विस्तृत वर्णन है / 3. जीवाभिगम सूत्र : यह उपांग 4700 श्लोक प्रमाण है, इस पर श्री कर्मग्रंथ (भाग-1)