________________ समय में आचारांग सूत्र में 25 अध्ययन 2554 श्लोक प्रमाण हैं / इस सूत्र पर 12,000 श्लोक प्रमाण शीलांकाचार्य की टीका भी है। 2) सूत्र कृतांग : इस आगम में 180 क्रियावादी, 84 अक्रियावादी, 67 अज्ञानवादी, 32 विनयवादी इत्यादि कुल 363 पाखंडियों का वर्णन है। प्राचीन सूत्रकृतांग में 36000 पद थे / वर्तमान में 2100 श्लोक प्रमाण है / इस आगम पर 12850 श्लोक प्रमाण शीलांकाचार्य विरचित टीका है | ___3) स्थानांग सूत्र : इस आगम में 1 से 10 तक की संख्यावाले पदार्थों का वर्णन है / इस आगम के 10 अध्ययन हैं / प्राचीन समय में इस आगम में 72000 पद थे, वर्तमान में यह आगम 3700 श्लोक प्रमाण है, इसमें 31 अध्ययन हैं | 14,250 श्लोक प्रमाण टीका है। ___4) समवायांग सूत्र : इस आगम में 1 से 100 की संख्या वाले विविध पदार्थों के वर्णन के बाद 150 , 250, 300, 400, 500, 600, 700, 800, 900, 1000 , 1100, 2000 से 10,000 तक की संख्या वाले पदार्थ, उसके बाद 1 लाख से 10 लाख, फिर करोड आदि की संख्या वाले पदार्थों का विस्तृत वर्णन है / इस आगम के दो अध्ययन हैं / यह आगम 1660 श्लोक प्रमाण है / इस सूत्र पर 3574 श्लोक प्रमाण टीका उपलब्ध है / 5. व्याख्या प्रज्ञप्ति : इसे भगवती सूत्र भी कहा जाता है / गौतम स्वामी द्वारा पूछे गए और प्रभु महावीर द्वारा उत्तर दिए गए 36000 प्रश्नों का संकलन इस आगम में है / इसमें 41 शतक और 10,000 उद्देश हैं / वर्तमान में यह आगम 1575 श्लोक प्रमाण उपलब्ध है / इस आगम में जीव, कर्म, विज्ञान, खगोल, भूगोल आदि की विस्तृत जानकारी दी गई है / इस आगम पर वर्तमान में 18,616 श्लोक प्रमाण टीका उपलब्ध है। 6. ज्ञाताधर्म कथा : इस छठे अंग के दो श्रुतस्कंध हैं 1) ज्ञातश्रुतस्कंध और 2 धर्मकथा श्रुतस्कंध | पहले श्रुत स्कंध में 19 अध्ययन हैं | दूसरे श्रुतस्कंध के 10 वर्ग के 206 अध्ययन हैं / वर्तमान में इस आगम पर 800 श्लोक प्रमाण टीका उपलब्ध है। 7. उपासक दशांग : इस 7वें अंग में आनंद, कामदेव , चुलनीपिता, (कर्मग्रंथ (भाग-1)) 1928