________________ महापुरुषों के शरीर में से बहनेवाला सूक्ष्म द्रव्य हमारे जीवन में भी सत्त्व गुण पैदा करता है / ___चंदन, तुलसी, बड़, पीपल आदि वृक्ष आरोग्य के लिए लाभकारी माने गए हैं, उसका भी मुख्य कारण उन वृक्षों में से निकलनेवाला सूक्ष्म द्रव्य ही है। तीर्थंकरों के जन्म, निर्वाण कल्याणक आदि भूमियों की स्पर्शना से हमें आत्म-संतोष का अनुभव होता है उसका भी मुख्य कारण यही है / जहाँ जहाँ महापुरुष विचरते हैं, उनके शरीर में से बहती आभा सूक्ष्म रूप में पिंडित हो जाती है | पुद्गलों का यह स्वभाव है कि वे एक ही स्थान में अधिकतम असंख्य वर्षों तक उसी स्वरूप में रह सकते हैं / अतः उस स्थान में आनेवाले व्यक्तियों के मन पर उन पुद्गलों का अवश्य प्रभाव पड़ता है | जैन दर्शन में ब्रह्मचर्य के सूक्ष्म पालन के लिए, स्त्री जहाँ बैठी हो, उस स्थान पर पुरुष को 48 मिनिट तक नहीं बैठने का विधान है, उसके पीछे भी यही रहस्य है। आज वैज्ञानिक प्रयोगों द्वारा यह बात सिद्ध हो चुकी है कि व्यक्ति के चले जाने के बाद भी व्यक्ति का फोटो लिया जा सकता है / डॉक्टर भी एक दर्दी का ऑपरेशन आदि करने के बाद दूसरे दर्दी का स्पर्श करने के पूर्व अपने हाथ आदि धो डालता है, इसका भी यही रहस्य है कि प्रत्येक मानवी के शरीर में से प्रतिक्षण पुद्गल स्कंध बहते रहते हैं, जो मानवी पर शुभ-अशुभ असर पहुँचाते हैं | ___ मृतदेह के स्पर्श व रजस्वला स्त्री के स्पर्श बाद स्नान करने के पीछे भी यही रहस्य है / ईसा की सातवीं शताब्दी में दक्षिणी जैन मुनि श्री कुमेन्दुरचित' 'भूवलय' नाम का ग्रंथ है, वह एक ही ग्रंथ 718 भाषाओं में पढ़ा जा सकता है / उसमें अनेक विद्या, शास्त्र व विज्ञान का समावेश किया गया है / कर्मग्रंथ (भाग-1) 42