________________ श्रतज्ञान के 20 भेद ..................... पज्जय-अक्खर-पय संघाया-पडिवत्ति तह य अणुओगो / पाहुड पाहुड-पाहुड-वत्थु पुवा य ससमासा ||7|| शब्दार्थ पज्जय-पर्याय, अक्खर अक्षर, पय-पद, संघाया संघात , पडिवत्ति-प्रतिपत्ति , तह-तथा, य=और, अणुओगो-अनुयोग, पाहुड प्राभृत, पाहुड-पाहुड प्राभृत-प्राभृत , वत्थु वस्तु, पुना=पूर्व, य=तथा , ससमासा समास सहित / गाथार्थ पर्याय-श्रुत, अक्षर-श्रुत, पद-श्रुत, संघात-श्रुत , प्रतिपत्ति-श्रुत, अनुयोगश्रुत, प्राभृत श्रुत, प्राभृत-प्राभृत श्रुत, वस्तु श्रुत, पूर्व श्रुत इन दस भेदों के साथ 'समास' शब्द जोडने से अन्य दश (कुल बीस) भेद होते हैं | विवेचन 1. पर्याय श्रुत : श्रुतज्ञान के एक सूक्ष्म अविभाज्य अंश को पर्याय कहा जाता है / लब्धि अपर्याप्ता सूक्ष्म निगोद के जीव को उत्पत्ति के प्रथम समय में जो सर्व जघन्य श्रुतज्ञान होता है उस श्रुतज्ञान में एक अंश की जो वृद्धि होती है, उसे पर्यायश्रुत कहते हैं | 2. पर्याय समास श्रुत : अनेक पर्याय श्रुत को पर्यायसमास श्रुत कहते 3. अक्षर श्रुत : 'अ से ह' तक के किसी एक अक्षर का ज्ञान , अक्षरश्रुत कहलाता है। 4. अक्षर समास श्रुत : एक से अधिक अक्षरों के ज्ञान को अक्षरसमास-श्रुत कहा जाता है / Nero कर्मग्रंथ (भाग-1)) === 87