________________ कर्म विज्ञान) इस विराट् विश्व की प्राणि-सृष्टि पर जब हम दृष्टिपात करते हैं तब अनेक विविधताओं और विचित्रताओं के दर्शन होते हैं / अन्य पशुसृष्टि तो दूर रही...मानव-सृष्टि पर भी जब नजर डालते हैं तो कहीं भी समानता नजर नहीं आती है बल्कि सर्वत्र विविधता के दर्शन होते हैं | ठीक ही कहा हैइधर एक दूल्हा घोड़े चढ़ा है, उधर एक जनाजा उठा जा रहा है, इधर वाह वाह है, उधर ठंडी आहे, कोई हँस रहा है, कोई रो रहा है। इस संसार में एक व्यक्ति सत्ता के सिंहासन पर बैठा हुआ है / उसके एक आदेश के साथ ही अनेक नौकर इकट्ठे हो जाते हैं और उसके आदेश के साथ ही आज्ञापालन होता दिखाई देता है तो दूसरी ओर रास्ते में खड़ा एक भिखारी नजर आता है जो चारों ओर से तिरस्कार का पात्र बना होता है / दो टाइम का पूरा भोजन भी उसके नसीब में नहीं है / दर-दर भटकने पर भी, भीख माँगने पर भी भरपेट भोजन उसे नहीं मिल पा रहा है / अत्यंत दयनीय और करुण स्थिति में मौत की याचना करता हुआ वह अपना समय प्रसार कर रहा है। * इधर देखो, वे मफतलाल सेठ खड़े हैं, उनके पास धन-संपत्ति की कोई कमी नहीं है / उनके एक ही लड़का है, वह लड़का दिखने में बड़ा सुन्दर है, परंतु उसके पास 'दिमाग' नाम की कोई चीज नहीं है / उसके पास सोचने-समझने की कुछ भी शक्ति नहीं है / पुत्र होते हुए भी पुत्रहीन की भाँति मफतलाल सेठ की स्थिति है | * पन्नालाल सेठ को अपने पुत्र से कई आशाएँ थीं...और इसी कारण अपने इकलौते पुत्र की शिक्षा के पीछे पानी की तरह धन बहा दिया था / लड़का पढ़ने में भी बहुत होशियार था...परंतु दुर्भाग्य से वह लड़का एक दिन कर्मग्रंथ (भाग-1)) 52