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* चतुर्गुणात्मक स्वभाव-स्थितिरूप परमात्मपद - प्राप्ति * १७१ *
में बहुत पिछड़ी हुई हैं। आज उनका अनन्त चतुष्टयरूप स्वभाव - सूर्य परभावरूपी राहु और विभावरूपी केतु के द्वारा ग्रसित हो रहा है । उनका असीम - अनन्त स्वभाव ससीम और क्षतविक्षत हो गया है। अधिकांश मानवों के पूर्वोक्त अनन्त चतुष्टयरूप शुद्ध स्वभाव संक्षेप में इस प्रकार आवृत, विकृत और ससीम हैं
" आत्मा के अनन्त ज्ञान पर आवरण आ गया है। आत्मा का अनन्त दर्शन भी आवृत हो गया है ॥ आत्मा का अनन्त आनन्द भी विकृत हो गया है। आत्मा की अनन्त शक्ति भी कुण्ठित - स्खलित-मूर्च्छित हो गई है | "
जिस आत्मा में ये चार गुणात्मक स्वभाव जब तक आवृत, सुषुप्त, विकृत या कुण्ठित रहते हैं, तब तक सर्वकर्मक्षयरूप मोक्ष प्राप्त नहीं होता । जब ये चारों आत्म-स्वभाव अनावृत और शुद्ध रूप में पूर्णतया उपलब्ध हो जाते हैं, तभी पूर्ण मोक्ष - भावमोक्ष प्राप्त होता है । इसीलिए स्वात्मोपलब्धि या स्वरूप में अवस्थान को मोक्ष कहा है।
आत्मा के चारों गुणात्मक स्वभाव आवृत और मूर्च्छित क्यों ?
अब हम इन चार मौलिक गुणात्मक स्वभाव में से प्रत्येक स्वभाव की समीक्षा करेंगे कि सामान्य आत्मा के ये गुणात्मक स्वभाव क्यों और कैसे विकृत, आवृत, कुण्ठित, स्खलित और क्षतविक्षत हो गए हैं तथा इनको अनावृत, अविकृत, अकुण्ठित और अस्खलित रखने या बनाने के क्या-क्या उपाय हैं ? स्वभावनिष्ठ मुमुक्षु आत्मा के लिए यह प्रश्न बहुत ही महत्त्वपूर्ण है । आध्यात्मिक विकास के पूर्ण शिखर को प्राप्त करने के लिए भी, अथवा सर्वकर्ममुक्तिरूप या स्वभाव में अवस्थितिरूप मोक्ष प्राप्त करने के लिए भी आत्मा के चतुर्गुणात्मक स्वभाव की पुनः प्रतिष्ठा पर विचार करना अनिवार्य है।
आत्मा के मौलिक और अभिन्न गुणात्मक ज्ञान स्वभाव में शेष तीनों गुणों का समावेश
परमात्मा का सर्वप्रथम अभिन्न स्वभाव है - अनन्त ज्ञान (पूर्ण ज्ञान = एकमात्र ज्ञान)। वही साधारण आत्मा का मौलिक गुण है, मूल स्वभाव है। ज्ञान आत्मा का मूल गुण है। आत्मा के साथ उसका तादात्म्य है, अभेद सम्बन्ध है। जहाँ आत्मा है, वहाँ ज्ञान अवश्य होगा, तथैव जहाँ ज्ञान है, वहाँ आत्मा अवश्य होगी। अगर द्रव्यार्थिकनय की या अभेददृष्टि से देखा जाए तो ज्ञानगुण में शेष तीनों (दर्शन, सुख और बलवीर्य) मौलिक गुणों का समावेश हो जाता है। इसीलिए 'तत्त्वार्थसूत्र' में जीव (आत्मा) का लक्षण दिया है - "उपयोगो लक्षणम् । " - उपयोग ( ज्ञान
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